– अतिरिक्त आय का माध्यम बने जाम, भरपूर हो रहा उत्पादन
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। परंपरागत गेहूं-चना जैसी फसलों के साथ किसान फलों की खेती कर अपनी आय को बढ़ा रहे हैं। इस प्रकार की खेती में अधिक देखरेख की आवश्यकता भी नहीं है। एक बार पौधा वृद्धि कर पेड़ बन जाता है, उसके बाद फल उत्पादन से लाभ ही लाभ है। क्षेत्र में कई किसानों के खेत पर जाम के पेड़ लगे हुए हैं। इनमें फल उत्पादन भी होने लगा है। ये किसान अब जाम बेचकर अतिरिक्त आय प्राप्त करेंगे। सीजन में 15 से 20 हजार रुपए तक की आय होने की उम्मीद किसान कर रहे हैं।
बेहरी के आसपास के क्षेत्र में कई किसानों ने अपने खेतों में शौकिया तौर पर जाम के पौधे लगाए हैं। कुछ किसान ऐसे भी है, जिन्हें उद्यानिकी विभाग की ओर से जाम का बगीचा लगाने में सहायता मिली है। ये जाम के पौधे शीघ्र ही पेड़ बनकर किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त कर रहे हैं। इन दिनों बाजार में जाम 20 से 30 रुपए किलो तक बिक रहे हैं। सीजन के अनुरूप इनकी मांग भी बढ़ रही हैं।
माली समाज के मांगीलाल अमड़ावदिया व चुन्नीलाल ने अपने खेत पर 20 से अधिक पेड़ लगाए हैं। इन पेड़ों पर जाम की बहार आई हुई है। इनका कहना है कि जाम के पेड़ पर बहार है। इन्हें बेचकर अच्छी आय होगी। जाम की खेती में दूसरा फायदा भी है, क्योंकि इसकी खेती करने पर परंपरागत फसल प्रभावित नहीं होती। इनके पेड़ों पर दवाई के छिड़काव और खाद आदि डालने की जरूरत भी नहीं है।
रामपुरा में भी किसानों ने उद्यानिकी विभाग की सहायता से बगीचे तैयार किए हैं। इनके बगीचों में फल उत्पादन शुरू हो गया है। यहां जाम के 10 से अधिक बगीचे है। किसान जाम बेचकर अपनी आजीविका चला रहे हैं। बेहरी के किसान दरियाव टोल्डर ने बताया, कि हमने 10 वर्ष पूर्व अपने खेत पर 25 से अधिक पेड़ लगाए थे। ये पेड़ अभी तक फल दे रहे हैं। पिछले साल भी 15 हजार से अधिक रुपए के जाम बेचे थे। इस बार भी जाम से पेड़ लदे हुए हैं। उम्मीद है कि 20 हजार से अधिक की आय इन्हें बेचने से होगी।
पका हुआ जाम स्वास्थ्य के लिए लाभदायक-
बागली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. हेमंत पटेल ने बताया, कि जाम मौसमी फल है, जिसे खाने से नुकसान नहीं है। फिर भी अगर जाम कच्चा है और इसे खाने के बाद पानी पी लिया तो सर्दी-जुकाम की शिकायत हो सकती है। पका हुआ जाम पेट के लिए लाभदायक है। आयुर्वेद में भी इसके गुणों का वर्णन है।
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