इस देश में सख्त है नियम, बस में नमकीन का दाना मिला तो लगता है भारी जुर्माना

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– यहां के नागरिकों को दुनिया के किसी भी देश में जाने के लिए नहीं है वीजा की आवश्यकता

हमारे देश में अक्सर कहा जाता है कि बिना निजीकरण के देश प्रगति नहीं कर सकता। यहां तक कि आवश्यक सेवाओं के लिए कह दिया जाता है कि सरकार की जिम्मेदारी नहीं।
आज मैं इसी मुद्दे को ध्यान में रखते हुए दो देशों सिंगापुर और भूटान की चर्चा करूंगा।
सिंगापुर पहले यह मात्र एक बंदरगाह हुआ करता था, लेकिन सही दिशा में काम करने की बदौलत आज सिंगापुर में निम्नलिखित बातें साकार रूप ले चुकी हैं –
साफ सफाई में सिंगापुर का कोई मुकाबला नहीं। यहां अगर बस के अंदर भी एक-दो दाने तक नमकीन आदि के मिल गए तो न्यूनतम जुर्माना 500 डॉलर लग ही जाता है। हमारे बस ड्राइवर ने हम सब को साफ मना कर दिया था कि कोई भी नमकीन आदि का पैकेट भी साथ में न रखें।
क्राइम की यह हालत है कि देर रात तक लड़कियां आदि निडर हो सड़कों पर आवाजाही करते मिल जाएंगी। यहां कोई अपराध करता नहीं और अगर अपराध करने पर पकड़ा जाए तो कुछ ही दिनों में कठोर दंड मिल जाता है।
सिंगापुर नागरिकों की पढ़ाई-लिखाई पूरी तरह से शुल्क रहित है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई भी अच्छी तरह से कराई जाती है। इस कारण हर नागरिक पढ़ालिखा ही हमें मिलता है।
सिंगापुर में प्रत्येक वयस्क नागरिक के पास घर होता है लेकिन कोई भी नागरिक एक से अधिक घर नहीं रख सकता है। फलस्वरूप एक भी नागरिक ऐसा नहीं जिसके पास अपना घर न हो।
स्वास्थ्य पर सरकार विशेष ध्यान देती है। सरकारी अस्पतालों में हर बीमारी का मुफ्त इलाज होता है। सरकारी अस्पतालों की कंडीशन शायद हमारे देश के 4 सितारा प्राइवेट अस्पतालों से कई गुनी बेहतर है। डाक्टर मरीज को देखने के बाद एक फूल भी सद्भावनावश देता है।
अब आइए जंगल की बात करें। यहां मानव निर्मित जंगल ही हैं। लेकिन जंगलों की स्थिति बेहतरीन है। यहां के पार्क जैसे दुनिया में और कहीं शायद ही उद्यान हों।
सबसे प्रमुख बात कि सिंगापुर दुनिया में एकमात्र देश है जहां के नागरिकों को दुनिया के किसी भी देश में जाने के लिए वीजा की आवश्यकता नहीं होती। शायद यह पूरी दुनिया का सिंगापुर नागरिकों को दिया गया अद्भुत सम्मान ही है।

अब बात करें भूटान की। एक छोटा सा देश लेकिन अनेक मामलों में बाकी देशों से बहुत आगे।
भूटान यात्रा के दौरान एक बात मैंने देखी कि ज्यादातर दुकानों पर लड़कियां काम कर रही हैं। सोचा शायद कम पढ़े लिखे होने से दुकानदारी करनी पड़ रही होगी। फिर दिमाग में एक और सवाल था कि आखिर क्यों कर भूटान दुनिया का सर्वाधिक सुखी देश माना जाता है?
भ्रमण के दौरान मैंने अनेक लोगों से बातचीत की। काम करने वाली लड़कियों से भी बातें कीं। जो कुछ सुनने समझने को मिला उससे मैं चमत्कृत हो गया।
भूटान में सभी बच्चों के लिए पढ़ाई लिखाई पूरी तरह से फ्री है। बच्चे किसी भी उच्च स्तर तक पढ़ाई कर सकते थे। दुकानों में काम करने वाली लड़कियाँ भी ग्रेजुएट ही मुझे मिलीं। वे किसी भी काम को छोटा नहीं समझते। ईमानदारी से व्यवसाय करते हैं। एक बार मेरी कुछ तबियत नासाज़ हो गई तो लगा दवा खाने या नीबू पानी से ठीक हो सकता हूँ। मैंने एक दुकान से दवाएं लीं तो उसने पैसे नहीं लिए। मुझसे कहा कि आप बाहर के हो, हमारे मेहमान हो। मेहमान से पैसे नहीं लेते। इस तरह एक सब्जी वाले ने नीबू के पैसे नहीं लिए। तर्क वही कि आप हमारे मेहमान हो।
भूटान में सिंगापुर जैसे ही स्वास्थ्य सेवाएं फ्री हैं। यहां अस्पताल हमारे देश के अनेकों प्राइवेट अस्पतालों से ज्यादा ठीक लगे। भूटान के लोग चूंकि मेहनती होते हैं तो बीमार भी कम पड़ते हैं।
भूटान नरेश आम आदमियों से एक बिल्कुल सामान्य व्यक्ति की तरह ही मेलजोल रखता है। सुरक्षा का कोई आडंबर साथ नहीं होता।
भूटान में जंगल कटाई या शिकार बड़े अपराध माने जाते हैं। इसीलिए यहाँ कोई वन या वन्यप्राणी अपराध नहीं करता। भूटान दुनिया में एकमात्र देश है जिसे जंगलों के बचाने के एवज में वित्तीय सहायता मिलती है।

मेरा उक्त पूर्ण लेखन अपने स्वयं के अनुभवों तथा सिंगापुर और भूटान के विभिन्न नागरिकों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर है।
जो कुछ भी हो सिंगापुर और भूटान मेरे लिए आदर्श देश हैं और हमेशा रहेंगे। सिंगापुर और भूटान के प्रत्येक नागरिक को दिल से नमन करता हूँ।

लेखक: अशोक बरोनिया (सेवानिवृत्त अधिकारी एवं वरिष्ठ लेखक)

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