– बागली विधानसभा में भाजपा-कांग्रेस के कई दावेदार टिकट की दौड़ में
– टिकट फाइनल नहीं हुआ, लेकिन दावेदारों ने जनसंपर्क शुरू कर दिया
सुंद्रेल-बिजवाड़। विधानसभा चुनाव को लेकर दावेदार सक्रिय हैं। भोपाल से लेकर दिल्ली तक दावेदारों की दौड़ हो रही है। हर कोई टिकट लाने का दावा कर रहा है। अति उत्साहित कुछ दावेदारों ने तो स्वयं को पार्टी का प्रत्याशी मानते हुए प्रचार-प्रसार भी शुरू कर दिया है। इधर पार्टी आलाकमान के सामने विकट स्थिति निर्मित हो रही है। भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों में एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति है। टिकट तो एक को ही देना है और ऐसे में अन्य दावेदारों के नाराज होने का अंदेशा भी पार्टी आलाकमान को चिंता में डाल रहा है। कुछ इसी प्रकार के हालात बागली विधानसभा में भी देखने को मिल रहे हैं।
देवास जिले की बागली विधानसभा क्रमांक 174 को वैसे तो भाजपा का परंपरागत गढ़ माना जाता है, लेकिन इस बार मुकाबला कांटेदार होने की उम्मीद जताई जा रही है। भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों में नए-नए दावेदार इस सीट पर टिकट हासिल करने के लिए जोर आजमा रहे हैं। अभी टिकट तो किसी का फाइनल नहीं हुआ है, लेकिन सभी अपने-अपने हिसाब से जनसंपर्क में जुटे हैं। किसी के यहां कोई गमी का मामला हो या धार्मिक आयोजन हो, ये दावेदारर जरूर जा रहे हैं।
बागली विधानसभा की यह सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। यह वर्ष 2008 तक सामान्य वर्ग की सीट थी। उस समय पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कैलाश जोशी आठ बार विधायक रहे। एक बार स्व. श्याम होलानी ने जीत हासिल की थी। इस सीट से दीपक जोशी भी विधायक रहे। इसके बाद यह सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। इसके बाद दो बार स्व. चंपालाल देवड़ा भी विधायक रहे। वर्तमान में डीएसपी पद से वीआरएस लेकर चुनाव लड़े पहाड़सिंह कन्नौजे विधायक हैं। वे अपनी सादगीपूर्ण शैली से अपनी विधायकी का डंका बजा रहे हैं। उनके कार्यकाल में मां नर्मदा के धाराजी घाट पर करोड़ों के विकास कार्य हुए। उन्होंने वर्षों से बंद घाट को बनवाकर स्नान प्रारंभ करवाया। यह उनके कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि में से एक हैं। बागली का सीएम राइज स्कूल, हर गांव में नल जल योजना, करोड़ों की पुलियाओं का निर्माण जैसे कई कार्य हैं, जिनसे बागली विधानसभा के लोगों को सुविधा मिली। वे दूसरी बार फिर विधायक टिकिट के लिए उत्साहित हैं। अपने क्षेत्र में किए गए कार्यों के कारण वे टिकिट प्राप्त करने में सफल भी हो सकते हैं।
दावेदारों की सूची लंबी है-
इस बार भाजपा में नए दावेदारों की लिस्ट काफी लंबी हो चली है। इस सीट पर आदिवासी मोर्चा के जिला अध्यक्ष खुशीलाल राठौड़ भी दावेदारी कर रहे हैं। उनकी व्यवहारिक सरलता लोगों को आकर्षित कर रही हैं। वे कोरकू समाज से आते हैं। वे सादगी व कार्य कुशलता से लोगों के बीच लोकप्रिय हैं।
इसी प्रकार आदिवासी वित्त निगम की अध्यक्ष निर्मला सुनील बारेला मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के बहुत ही करीबी है, वे भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। आरएसएस के मुरली भंवरा, हरिओम कर्मा, पटवारी नाहरसिंह अस्के, गोपाल भलावी सहित कई दावेदार बागली विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
कुछ इसी प्रकार की स्थिति कांग्रेस में भी बनी हुई है। नंदूसिंह रावत, नाहरसिंह मुजाल्दे, गोपाल भोंसले, जिला पंचायत सदस्य रमण कलम हतनोरी, कमल मस्कोले, कमल वास्केल जैसे नेता टिकट के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। इतने अधिक दावेदारों के होने से दोनों ही पार्टी के आलाकमान के सामने जटिल समस्या खड़ी हो गई है। बागली विधानसभा में कोरकू समाज तकरीबन 50 से 55 हजार वोट है। दूसरे नंबर पर 40 से 45 हजार वोट बारेला भील समाज के हैं। गोंड समाज के तकरीबन 15 से 20 हजार वोट हैं। बाकी अन्य समाज के वोट हैं।
दोनों ही दलों के दावेदार अपने-अपने सपने संजोए बैठे हैं। अब किसे टिकिट मिलेगा, यह तो समय ही बताएगा। ऊंट किस करवट बैठेगा, यह ताे टिकट वितरण के बाद ही पता चलेगा। हालांकि भाजपा के गढ़ में सेंध लगाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।
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