संत की प्रेरणा: एक बीघा ज्वार-बाजरे का खेत किसान ने छोड़ दिया पक्षियों के लिए

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– विभिन्न प्रजातियों के पक्षी आकर चुगते हैं दाना, दिनभर सुनाई देता है कलरव
बेहरी। क्षेत्र में एक किसान ऐसा भी है, जो पिछले तीन वर्षों से पक्षियों के लिए अपने खेत में ज्वार-बाजरा की फसल लगा रहा है। फसल में ज्वार-बाजरा का उत्पादन होने पर खेत को पक्षियों के लिए छोड़ दिया जाता है। इस खेत में दिनभर पक्षियों का कलरव सुनाई देता है। खेत में कई प्रजातियों के पक्षी आकर अपना पेट भरते हैं। पर्यावरणप्रेमियों में भी इस किसान की लोकप्रियता हैं, वे किसान के इस कार्य की प्रशंसा कर रहे हैं।
अमरपुरा के किसान मुकेश पाटीदार हर साल अपने एक बीघा खेत में पशु-पक्षियों के लिए ज्वार-बाजरा लगाते हैं। पहले पक्षी ज्वार-बाजरा के दाने चुगते हैं और बाद जब दाने समाप्त हो जाते हैं, तब फसल के अवशेष पशुओं का आहार बनते हैं। किसान मुकेश पाटीदार बताते हैं, कि बारिश के दिनों में पक्षियों को खाने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इस दौरान पेड़ में फल नहीं लगते। इसके चलते पक्षी भूख से बेहाल होकर भटकते रहते हैं। ऐसी अवस्था में ज्वार एवं बाजरा फसल ही सबसे बेहतर विकल्प रहती है।
किसान पाटीदार जिस एक बीघा में ज्वार लगाते हैं, उसमें कीटनाशक का छिड़काव भी नहीं करते। वे बताते हैं कीटनाशकों से पक्षियों की कई दुर्लभ प्रजातियां नष्ट होने के कगार पर है। यहां जो पक्षी आते हैं, उन्हें किसी तरह का नुकसान ना हो इसलिए फसल पर कीटनाशक का छिड़काव भी नहीं करते हैं। जब ज्वार का दाना खत्म हो जाएगा तब खेत को पशुओं के लिए छोड़ देंगे। खेत में पशुओं के लिए खरपतवार भी नहीं निकालते हैं। इससे कई जीव-जंतु का पालन होता है।

किसान पाटीदार ने बताया कि पक्षियों के पालन के लिए ज्वार लगाने की प्रेरणा तीन वर्ष पहले रेणुका माता मंदिर के संत गोविंददास त्यागी से मिली थी। इसके बाद खेत में ज्वार लगाना शुरू किया। खेत में कुछ-कुछ दूरी पर बाजरा भी लगाई। फसल को पक्षियों के साथ बंदर, खरगोश, सियार भी आकर खाते हैं।
सराहनीय प्रयास-
पर्यावरणप्रेमी विपिन शिवहरे का कहना है किसान मुकेश पाटीदार का यह सराहनीय प्रयास है। एक बीघा खेत में पक्षियों के लिए वे ज्वार-बाजरा उगाते आ रहे हैं। उनका खेत पक्षियों से भरा रहता है। पक्षियों के लिए दाने का इंतजाम करना निश्चित तौर पर अन्य लोगों के लिए भी अनुकरणीय है।

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