– होटल की चौथी मंजिल तक रैलिंग, पाइप व रस्से के सहारे पहुंचकर बचाया था लोगों को
– स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने किया जांबाज पुलिसकर्मी आरबे का सम्मान
– ईश्वर प्रेरणा देता है और मैं बगैर देर किए मदद के लिए निकल पड़ता हूं- आरबे
इंदौर। साल 2023, मार्च 29 को शहर की चर्चित होटल पपाया ट्री भीषण आग की चपेट में आ गई थी। यह वाकया शहरवासी कभी नहीं भूल सकते। होटल की ऊपरी मंजिल में फंसे हुए 12-14 लोगों को जान पर खेलकर बचा लाने वाले सब इंस्पेक्टर किशोर कुमार आरबे थे। लोगों के जीवन बचाने के इस महान कार्य के लिए स्वतंत्रता दिवस पर स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने प्रशस्तिपत्र देकर उन्हें सम्मानित किया। जब वे पुरस्कार लेने गए, तब उपस्थित दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका उत्साह बढ़ाया।
इस अवसर पर जांबाज सब इंस्पेक्टर आरबे ने न्यूज वन क्लिक से पूरे घटनाक्रम को साझा करते हुए बताया, कि मेरी रात्रिकालीन ड्यूटी थी। सुबह लगभग 6 बजे मैं घर जाने की तैयारी कर रहा था, कि फोन पर पपाया ट्री होटल में आग की सूचना मिलती है। मैं बमुश्किल 5-7 मिनट में ही उस होटल तक पहुंच गया। होटल में आग का मंजर भयानक था। अफरा-तफरी मची थी, उस वक्त तक फायर ब्रिगेड भी नहीं पहुंच पाई थी। जो लोग नीचे की मंजिल में थे, वे तो बाहर निकल आए।
होटल के कर्मचारियों ने कहा सर! ऊपर 12-15 लोग और है। मैंने सीढ़ियों की ओर देखा, लेकिन वे भी आग की लपटों से घिरी थी, लिफ्ट के आसपास आग फैल चुकी थी। ऊपरी मंजिल तक पहुंचने के लिए के लिए लिफ्ट व सीढ़ी दोनों रास्ते बंद थे। अंदर सीढ़ी से होकर ऊपरी मंजिल तक जाना मुमकिन नहीं था। बाहर लोग आग के वीडियो बना रहे थे, गैस सिलेंडर फट ना जाए, इसके डर लोग दूरी बनाकर ही खड़े थे।
सब इंस्पेक्टर किशोर कुमार कहते हैं, एक पल के लिए ऐसा लगा कही देर ना हो जाए, क्योंकि आग तेजी से फैल रही थी। इसका धुआं ऊपरी मंजिल के कमरों तक पहुंच रहा था। धुएं में काॅर्बन की मात्रा होती है, मुझे ऊपरी मंजिल पर फंसे हुए लोगों की चिंता थी। जब समय कठिन होता है, तब ईश्वर से शक्ति प्राप्त होती है। बगैर देर किए मैंने आसपास से एक सीढ़ी का जुगाड़ किया, लेकिन इससे मैं पहली मंजिल तक ही पहुंच सका। आग और धुएं के फैलने से ऊपर की मंजिल तक पहुंचना कठिन हो रहा था। फिर भी रैलिंग, पाइप को पकड़ते हुए और रस्से के सहारे ऊपरी मंजिल तक पहुंचना शुरू किया। ऊंचाई इतनी अधिक थी कि एक बार चढ़ना शुरू किया तो नीचे की ओर देखने का साहस नहीं जुटा पाया।
जब ऊपरी मंजिल पर पहुंचा तो लोग अंदर बंद थे। दरवाजे व कांच पैक थे, अंदर धुआं भर रहा था। काॅर्बन की मात्रा के कारण सांस लेने में समस्या हो रही थी। जो लोग फंसे हुए थे, अब उन्हें नीचे उतारना चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि गैलरी में गमलों के कारण एक-सवा फीट जगह ही थी। इस बीच फायर ब्रिगेड भी आ चुकी थी, जिनकी लंबी सीढ़ियों की सहायता से लोगों को नीचे पहुंचाया। जब हम नीचे आए तो लोगों ने जिस जोश के साथ स्वागत किया, वह द्श्य आज भी मन को सुकून देता है। हालांकि होटल में धुएं के कारण कई दिनों तक मुझे भी प्राब्लम बनी रही।
सीने तक पानी में जाकर बचाया था लोगों को-
आरबे कहते हैं जब कोई मदद के लिए आपकी ओर देखता है तो उसके प्रति दयाभाव आ ही जाता है, मानवता के लिए मानवीय भावनाएं प्रबल हो जाती है। ईश्वर प्रेरणा देता है और मैं मदद के लिए निकल पड़ता हूं। इससे पहले भी खंडवा में निचली बस्ती में बाढ़ का पानी भर जाने पर हमने सीने तक पानी में पैदल जाकर कई लोगों को बाहर निकाला था, बाद में जब पानी उतरा तो हमें पता लगा कि जहां से हम लोगों को बचाने के लिए पैदल निकले थे, वहां पास ही गहरा कुआं था।
वे पुलिस विभाग में वर्ष 1991 में आरक्षक के रूप में भर्ती हुए थे। फिलहाल राऊ में सब इंस्पेक्टर के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं। उनकी इसी सेवा के लिए उन्हें स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट ने प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया है। हाल ही में उन्हें मालवा रत्न 2023 से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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