रिश्तों में गणित न लगाएं, इसमें सामान्य गणित काम नहीं करता

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  • रिश्तों में सामंजस्य और समर्पण जरूरी

जीवन में हमें अनेक रिश्ते निभाने पड़ते हैं और रिश्तों में कभी मिठास तो कभी कड़वाहट आ जाती है। रिश्तों में दरार आने के अनेक कारण होते हैं। कभी-कभी परिस्थितियां ऐसी बन जाती है, कि रिश्ते कमजोर हो जाते हैं। रिश्तों में हमेशा मजबूती बनी रहे, ताजगी बनी रहे इसके लिए सबसे जरूरी बात है, कि हमारे रिश्तों के बीच में समर्पण और सामंजस्य की भावना बनी रहना चाहिए।
कभी भी अधिकार की भावना नहीं आना चाहिए। अधिकार से रिश्तों में अपनापन नहीं रह जाता। जिंदगी में आप जो भी रिश्ता निभाएं, उसमें यदि आप अधिकार की भावना नहीं रखेंगे तो वो रिश्ता हमेशा कुशलतापूर्वक चलता रहेगा। वर्तमान में एक चलन और हो गया है, कि आगे होकर कोई बात नहीं करता, लेकिन हम यदि ऐसा करेंगे तो रिश्ते ही खत्म हो जाएंगे इसलिए कभी भी अपने को छोटा नहीं समझे और रिश्ते के लिए संवाद हमेशा बनाए रखें। रिश्तों का गणित बहुत अलग होता है। इसमें सामान्य गणित काम नहीं करता। रिश्ते में यदि 2 में से 1 जाता है, तो कुछ नहीं बचता। इसलिए अपने रिश्तों को संभाल कर रखिएं। समर्पण से और सामंजस्य से और प्रसन्न रहिएं, यही जीवन का सार है।
– महेश सोनी
स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर नगर निगम
राज्यपाल पुरस्कार प्राप्त शिक्षक,
प्रधानाध्यापक शासकीय माध्यमिक विद्यालय महाकाल कॉलोनी, देवास

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