– परंपरा अनुसार अग्नि का नहीं किया प्रयोग
– प्राचीन शीतला माता मंदिर में पूजन के लिए लगी महिलाओं की कतार
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। क्षेत्र में शीतला सप्तमी हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। मां शीतला को ठंडे पकवानों का भोग लगाया और सभी ने ठंडे पकवान का भोग ग्रहण किया। इस दिन अग्नि का प्रयोग नहीं किया गया।
मंगलवार को प्राचीन शीतला माता मंदिर में महिलाओं ने पूजा-अर्चना की एवं माता से सुख-समृद्धि के लिए कामना की। एक दिन पूर्व तिथि के अनुसार छठ पर भोजन बनाकर रखा गया। सप्तमी पर अग्नि का प्रयोग नहीं किया। गांव की वरिष्ठ नंदाबाई पटेल ने बताया कि भारतीय संस्कृति में जब छोटे बच्चे को माताजी निकलती है तो उसे शांत करने के लिए शीतला माता से कामना की जाती है, ताकि वे शांत रूप में बच्चों को परेशान ना करते हुए सादगी रूप से निकल जाएं। यही परंपरा गांव में सभी समाज के परिवार निभाते आए हैं। यहां पूजा करने वाले प्रजापत समाज की मीराबाई ने बताया कि वर्ष में एक बार ऐसा अवसर आता है कि गांव की सभी महिलाएं पूजा-अर्चना करने आती हैं। इस दौरान सुख-समृद्धि के लिए चने व गेहूं गलाकर खेती बनाते हुए बोवनी की परंपरा निभाई ताकि वर्षभर धन-धान की कमी ना रहे।
पं. सुरेश उपाध्याय के अनुसार होली के 7 दिन बाद होली माता की तपन कम करने के लिए शीतला सप्तमी पर्व मनाया जाता है। गांव में मात्र एक स्थान होने से सुबह 6 से 12 दोपहर बजे तक महिलाओं का पूजा का दौर चलता रहा। महिलाओं ने बताया कि पूजा के बाद घर के मुख्य द्वार पर हल्दी-कुमकुम के छापे लगाए।
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