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PCMC | लघु उद्यमियों के पुनर्वास की योजना खटाई में! 16 साल से अधर में लटकी योजना, PCMC प्रशासन के प्रति बढ़ी नाराजगी

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पिंपरी: आवासीय क्षेत्रों के उद्यमियों के लिए पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) की ओर से भोसरी एमआईडीसी (Bhosari MIDC) में टी-ब्लॉक 201 में शुरू की गई सूक्ष्म एवं लघु उद्यमी पुनर्वास परियोजना के तहत करीब 16 साल से औद्योगिक भूखंडों का काम ठप पड़ा हुआ है। 306 में से अब तक सिर्फ 200 दुकानों का काम किया गया है। बाकी काम ठप होने से सूक्ष्म उद्यमी पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका प्रशासन (Pimpri-Chinchwad Municipal Administration) से सख्त नाराजगी जता रहे हैं।

पिंपरी-चिंचवड शहर को औद्योगिक शहर के रूप में देश-विदेश में जाना जाता है। शहर में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नामी कंपनियां हैं। इन उद्योगों को मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना पिंपरी-चिंचवड पिंपरी-चिंचवड की जिम्मेदारी है। महानगरपालिका ने भोसरी एमआईडीसी क्षेत्र के आवासीय क्षेत्र में सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों की पुनर्वास परियोजना के तहत भोसरी एमआईडीसी के टी ब्लॉक 201 में 306 औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने की योजना बनाई है। इसके लिए 1995 में टी ब्लॉक स्थित जमीन 95 साल के लिए महानगरपालिका को सौंपी गई थी। हालांकि 2006 तक इस जगह पर कोई काम नहीं किया गया।

180 कारोबारियों ने लीज के लिए आवेदन किया 

वर्ष 2006 में 306 औद्योगिक ब्लॉक स्थापित करने का कार्य प्रारंभ किया गया था। इस संबंध में एक विज्ञापन भी प्रकाशित किया गया था। विज्ञापन छपते ही 180 कारोबारियों ने लीज के लिए आवेदन कर दिया। 180 सूक्ष्म उद्यमियों ने महानगरपालिका को पांच-पांच हजार रुपए का भुगतान किया। फिर 2012-13 में 83 उद्यमियों ने प्रत्येक को 30,000 रुपए का भुगतान किया। कुछ वर्षों के लिए खदानों का संचालन बंद हो गया। अब तक केवल एक तीन मंजिला भवन बनकर तैयार हुआ है। 200 दुकानें बनाई गई हैं। दूसरे भवन का सिर्फ एक तल बनकर तैयार हुआ है। औद्योगिक आधार स्थापित करने का कार्य पिछले 16 वर्षों से चल रहा है। 

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करार को लेकर उद्यमी और महानगरपालिका में अनबन

ये औद्योगिक इकाइयों का काम पिछले चार साल से पूरी तरह बंद पड़ी हैं। इससे पहले महानगरपालिका 90 साल का अनुबंध कर रही थी। उसके बाद 50 और अब 30 साल का करार होगा। इसको लेकर उद्यमियों और महानगरपालिका के बीच विवाद होता रहा है। दरें प्रत्येक मंजिल के लिए समान हैं। वहीं दूसरी ओर महानगरपालिका द्वारा लिए जाने वाले रेट में आपको गांठ पड़ जाएगी। जिन उद्यमियों ने 30,000 रुपए का भुगतान किया है, वे इसे जमा के रूप में स्वीकार करें और इसे 10 से 15 रुपए प्रति वर्ग फुट के हिसाब से किराए पर दें यह मांग उद्यमियों ने की हैं। समझौते को लेकर उद्यमियों और प्रशासन के बीच मतभेद देखे जा रहे हैं।

इन औद्योगिक इकाइयों का काम पिछले चार साल से बंद है। इस प्रोजेक्ट पर काफी खर्चा किया गया है और भूमि और जीवन विभाग से मौजूदा बाजार भाव के हिसाब से भुगतान करने की मांग की जा रही है। हम इसके खिलाफ हैं। इसके संबंध में महानगरपालिका कोई कार्रवाई नहीं करती है। लंबित कार्यों को शीघ्र पूरा किया जाए और औद्योगिक भूखंडों की लॉटरी निकाली जाए।

-संदीप बेलसरे, अध्यक्ष, पिंपरी-चिंचवड लघु उद्योग संगठन

औद्योगिक इकाइयों के निर्माण का काम 16 साल से चल रहा है। काम में देरी के लिए ठेकेदार पर जुर्माना लगाया जा रहा हैं। प्रतिदिन 5,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है और अब तक 50 लाख रुपए की वसूली की जा चुकी है। निर्माण में देरी को लेकर एमआईडीसी ने महानगरपालिका पर 4 करोड़ 82 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। फिलहाल दमकल का काम चल रहा है, इसका टेंडर जारी किया जाएगा। निधि नहीं मिलने के कारण काम में देरी हुई। निर्माण कार्य समाप्त हो गया है और 95 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। बाकी काम पूरा होने के बाद दुकानें भूमि और जीवन विभाग को सौंप दिए जाएंगे। उसके बाद छोटे उद्यमियों को आबंटित किए जाएंगे।

-अनिल शिंदे, कार्यकारी अभियंता पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका



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