Murder Case | सदोष मनुष्यवध में बदला हत्या का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने दिए आरोपी को रिहा करने के निर्देश

Posted by

Share

[ad_1]

court

File Pic

नागपुर. काटोल के नंदकिशोर कोरडे हत्याकांड में उच्च न्यायालय द्वारा दोषी करार दिए गए आरोपी प्रेमचंद चंद्रभान चरडे को सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिली. चरडे को नंदकिशोर की हत्या और 3 लोगों पर जान से मारने की कोशिश करने के मामले में दोषी करार दिया गया था. न्यायालय ने चरडे को गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी पाया. वह पहले ही 9 वर्ष से जेल में था, इसलिए उसे रिहा करने के निर्देश दिए गए. चरडे की ओर से अधिवक्ता सुधीर वोडितेल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की.

शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति एस. दीपांकर भट और न्यायूमूर्ति दिपांकर दत्ता की खंडपीठ में प्रकरण की सुनवाई हुई. अभियोजन पक्ष के अनुसार 26 सितंबर 2013 की शाम चरडे ने नंदकिशोर कोरडे की चाकू मारकर हत्या की थी. इसके अलावा नामदेव कोरडे, विलास चरडे और कुणाल बाभुलकर पर चाकू से हमला कर हत्या का प्रयास किया था.

नंदकिशोर की मां रेखाबाई की शिकायत पर काटोल पुलिस ने हत्या और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था. इंस्पेक्टर भारत ठाकरे ने जांच के बाद न्यायालय में आरोप पत्र दायर किया था. 6 अगस्त, 2019 को उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने सत्र न्यायालय के फैसले को सही मानते हुए चरडे को हत्या और हत्या के प्रयास में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 7 वर्ष की सजा बरकरार रखी थी.

बचाव पक्ष के वकील वोडितेल ने न्यायालय को बताया कि भले ही नंदकिशोर की मृत्यु चरडे के हाथों हुई हो लेकिन वह पहले से मौके पर मौजूद ही नहीं था. चरडे का विवाद अन्य 3 लोगों से चल रहा था. बाद में नंदकिशोर घटनास्थल पर पहुंचा. उसका इरादा नंदकिशोर को मारने का नहीं था. वारदात के समय चरडे को भी 6 जगहों पर घाव लगे थे लेकिन उसे पुलिस ने नजरंदाज कर दिया. इसलिए हत्या की बजाय चरडे को धारा 304 भाग II के लिए दोषी ठहराया गया. वह 9 वर्ष से जेल में है और यह सजा पर्याप्त बताते हुए न्यायालय ने चरडे को रिहा करने के निर्देश दिए.



[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *