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गोंदिया. जिले में पिछले 5 वर्ष के बारिश के न्यूनतम आंकड़ों पर नजर डालने पर वह बहुत कम है. जिससे बारिश की क्षमता की अपेक्षा कम बारिश होने से इस वर्ष सर्वत्र अकाल सदृश्य परिस्थिति निर्माण हुई है. ग्रीष्मऋतु की शुरुआत में अभी से नागरिकों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. जिले में बाहरी राज्यों के निजी बोरवेल कंपनियां दाखिल हो गई हैं. जगह-जगह बोरवेल की खुदाई जमीन के स्तर को कमजोर कर रही है. इस ओर संबंधित विभाग अनदेखी कर रहा है.
गत वर्ष की तुलना में जिले का भूजल स्तर वर्तमान स्थिति में बड़े पैमाने पर नीचे गया दिखाई दे रहा है. ऐसे में बाहरी राज्यों की निजी बोरवेल खुदाई करने वालों के डेरे जिले में दिखाई दे रहे हैं. जल पुन:भरण नहीं होने से पानी का स्तर एकदम गहरा हो गया है. इसमें अनेक बोरवेल की खुदाई करते समय अपेक्षित पानी नहीं लग रहा है. बोरवेल सूखा रह जाता है. वहीं बोरवेल खुदाई की प्रवृत्ति से जमीन का स्तर कम हो रहा है. जिससे भूजल स्तर वर्तमान में गहरा गया है.
बोरवेल की खुदाई कर लाखों रु. खर्च करने वाले नागरिक जल पुनर्भरण की ओर ध्यान नहीं देते हैं. गर्मी की शुरुआत होते ही जलस्रोत सूखे दिखाई दे रहे हैं. प्रशासन लाखों रु. खर्च कर पानी संग्रह बचाने के लिए प्रयासरत है. भूजल सर्वेक्षण यंत्रणा के नियमानुसार 200 फिट तक बोरवेल खुदाई की अनुमति है. लेकिन शासकीय नियम व कानून को ताक पर रखकर 200 फीट पर पानी नहीं लगने से गांव की सीमा में 400 से 500 फिट अनुचित तरीके से लोग बोरवेल की खुदाई करते दिखाई दे रहे हैं.
इस पर किसी भी विभाग का नियंत्रण नहीं होने से बोरवेल खुदाई का व्यापार बड़ी संख्या में बढ़ गया है. शासन ने सन 2013 में जल पुनर्भरण योजना क्रियान्वित की थी. उस अवधि में उसका बड़े पैमाने पर प्रचार प्रसार किया गया था. लेकिन यह योजना कुछ विशेष दिनों तक सीमित रह गई.
भविष्य में पानी कमी का भय
जिले में आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक व तमिलनाडु इन राज्यों से बोरवेल मशीन वालों के डेरे दाखिल होते हैं. इन राज्यों पर भूजल स्तर उपर होने से केवल 100 फिट पर पानी लग जाता है. जिससे वहां अच्छी आय नहीं होती है. परिणामस्वरूप जिले में एजेंट व दलाल के माध्यम से बोरवेल खुदाई का काम किया जाता है. जिले के ग्रामीण क्षेत्र में खेती के लिए बोरवेल की खुदाई हो रही है. इसमें दो घर के बाद बोरवेल की खुदाई की जा रही है. जिले में जल के स्त्रोत लगातार कम हो रहे हैं. जिससे भविष्य में पानी कमी की भयंकर समस्या निर्माण होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
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