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चंद्रपुर. जिला मध्यवर्ती बैंक के पूर्व अध्यक्ष मनोहर पाऊणकर के कथित घोटाले को उजागर करने वाले बैंक के संचालकों पर ही गाज गिरती नजर आ रही है. शिकायतकर्ताओं को ही आरेापी बनाए जाने का मामला सामने आने पर सहकारी क्षेत्र में खलबली मच गई है. बैंक में चपरासी, लिपिक पद की भर्ती निकली गई थी. चयनित उम्मीदवार के साक्षात्कार के समय उनके अंक बढ़ाए गए थे. इसके पीछे चयन समिति के सदस्यों का उम्मीदवारों के साथ आर्थिक व्यवहार होने का आरोप लगाया गया.
वर्ष 2013 में जिला मध्यवर्ती बैंक में 24 चपरासी और लिपिक पद की भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ था. जिसमें कई बेरोजगारों ने आवेदन किया था. इसी भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों के साथ आर्थिक व्यवहार किए जाने का आरोप लगाया गया. इस मामले में पूर्व अध्यक्ष शेखर धोटे, मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय खेड़ीकर, संचालक रवींद्र शिंदे, नंदा अल्लूरवार, पांडुरंग जाधव, ललित मोटघरे, प्रभा वासाड़े, लक्ष्मी पाटिल, अशोक वाहणे, चयन समिति के 3 अधिकारी, एमकेसीएल के प्रतिनिधि पर आरोप लगा था.
11 आरोपियों पर धोखाधड़ी के मामले दर्ज
राजनीतिक दबाव के कारण प्रकरण की जांच धीमी गति से शुरू होने से पूर्व विधायक एड. वामनराव चटप ने सीआईडी जांच के लिए न्यायलय में याचिका दायर की थी. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद इस मामले की फाइल फिर से खोली गई है. सहकार विभाग द्वारा रिश्वत प्रतिबंधक विभाग को अनुमति दिए जाने के बाद जिला सत्र न्यायालय में 11 आरोपियों पर दोषारोपपत्र दाखिल किया गया है. 11 आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत कई अन्य मामले दर्ज किए गए हैं. नौकर भर्ती मामले की जांच रिश्वत प्रतिबंधक विभाग ने की. इससे पूर्व भी शेखर धोटे, रवींद्र शिंदे, नंदा अल्लूरवार के नाम गिरफ्तारी वारंट निकला था. उन्होंने गिरफ्तारी पूर्व जमानत ले ली थी.
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