- समय रहते इलाज की शुरुआत नहीं करने पर बीमारी हो जाती है गंभीर
- बीमारी के कारण, लक्षण और उपचार जानते हैं प्रसिद्ध रयूमेटोलॉजिस्ट डॉ. उपेंद्र राठौर से
देवास। बढ़ती उम्र के साथ शरीर कई प्रकार बीमारियों से घिरने लगता है। खानपान-जीवन शैली हमारी सेहत पर असर डालते हैं। जैनेटिक रूप से भी बीमारी का प्रसार होने की संभावना बनी रहती है। समय-समय पर चिकित्सक से परामर्श लिया जाए तो काफी हद तक बीमारियों पर नियंत्रण किया जा सकता है। देश में बड़ी तादात में गठिया के रोग से लोग ग्रसित हैं। गठिया ऑटो इम्यून संबंधी बीमारी है। यह न सिर्फ शरीर के जोड़ाे, बल्कि कई अंगों को प्रभावित करता है। इस बीमारी के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में जानते हैं इंदौर के प्रसिद्ध रयूमेटोलॉजिस्ट डॉ. उपेंद्र राठौर से।
बीमारी का मुख्य कारण-
डॉ. उपेंद्र के अनुसार गठिया जोड़ों में जलन, सूजन व दर्द उत्पन्न करता है। यह बीमारी अपने ही शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा अपने संयुक्त ऊत्तकों पर हमला करने से होती है। संयुक्त ऊत्तकों पर नुकसान होने से दर्द और जोड़ों के आकार में बदलाव होता है। जोड़ों के दर्द को सामान्य समझने की भूल ना करें। जोड़ों का यह दर्द गठिया के रूप में तब्दील हो सकता है। समय पर इलाज की शुरुआत करने पर बीमारी कंट्रोल में आ जाती है, लेकिन इलाज का काफी लंबा चलता है। गठिया सिर्फ जोड़ों को ही नहीं बल्कि शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है। इससे बचाव के लिए विशेषज्ञ से सलाह और नियमित रूप से दवाई लेना आवश्यक है।
इन लक्षणों से पहचाने बीमारी-
डॉ. उपेंद्र का कहना है अधिकांश लोगों के मन में यह भ्रांति बनी हुई है कि गठिया सिर्फ शरीर के जोड़ों को ही प्रभावित करता है, लेकिन पूरी तरह से यह सही नहीं है। गठिया कई अंगों को प्रभावित करता है। यह स्कीन को भी इफेक्ट करता है।
स्कीन पर लालपन या दाने आना, ऊंगलियों में पीलापन या नीलापन, चेहरे पर लाल धब्बे होना, मुंह और आंखों में सूखापन, मांसपेशयों में कमजोरी, हाथ-पैर, चेहरे पर सूजन आना गठिया का संकेत हो सकते हैं। अगर यह लक्षण नजर आए तो बगैर देर किए डॉक्टर के पास जाएं।
6 हफ्ते तक बना रहे दर्द तो सलाह लें-
डॉ. उपेंद्र का कहना है कि कई बार मरीज शुरुआती लक्षणों पर ध्यान नहीं देता है और यह बीमारी बढ़ने लगती है। अगर समय पर उपचार प्रारंभ नहीं किया तो परेशानी बढ़ती है। अगर किसी परिवार में वंशानुगत रूप से बीमारी चली आ रही है तो परिवार के अन्य सदस्यों को ऐहतियात बरतना चाहिए। परिवार के अन्य सदस्यों को भी चिकित्सक से समय-समय पर सलाह लेना चाहिए।
चिकनगुनिया भी जोड़ों को प्रभावित करता है। अगर किसी को चिकनगुनिया हुआ और परिवार में गठिया की जेनेटिक रूप से बीमारी है तो गठिया होने की संभावना रहती है। अगर 6 हफ्ते तक जोड़ाें में दर्द बना रहता है तो विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
रेग्यूलर फॉलोअप जरूरी-
डॉ. उपेंद्र का कहना है गठिया आटो इम्यून बीमारी है। यह शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। जितनी जल्दी बीमारी पकड़ में आएगी, उतनी जल्दी उपचार से राहत मिलेगी। इसका इलाज 3 से 5 साल तक चलता है, लेकिन यह पेशेंट पर भी निर्भर करता है। एक बार बीमारी कंट्रोल में आ जाती है तब भी इसके फिर से होने की संभावना बनी रहती है। हो सकता है कि 10-12 साल बाद फिर से यह बीमारी हो जाए। रेग्यूलर फालोअप से ही बीमारी पर नियंत्रण किया जा सकता है। मरीज के लिए जरूरी है कि वह डाइट हेल्दी रखे।
इंदौर में यहां कर सकते हैं संपर्क-
डॉ. उपेंद्र राठौर (एबीबीएस, एमडी, डीएनबी, डीएम) से मरीज 222, सेकंड फ्लोर, बेंचमार्क बिजनेस पार्क सत्यसाई स्केअर के समीप विजयनगर इंदौर में शाम 6 से 8.30 बजे तक संपर्क कर सकते हैं।
आइये जानते हैं डॉ. उपेंद्र राठौर के बारे में-
डॉ. उपेंद्र राठौर ने वर्ष 2007 में एमपी पीएमटी में नौंवी रैंक प्राप्त की। इसी वर्ष ऑल इंडिया पीएमटी में 469 रैंक प्राप्त की, जिसके आधार पर उनका मेडिकल पढ़ाई के लिए एलटीएम कॉलेज सायन मुंबई के लिए चयन हुआ। यहां वर्ष 2007 से 2013 तक मेडिकल की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 2014 में एमडी के लिए इंदौर के एमजीएम कॉलेज में प्रवेश लिया। यहां वर्ष 2017 तक तीन साल की ट्रेनिंग ली। 2018-19 में अमलतास अस्पताल में कंसलटेंट एमडी मेडिसिन के रूप में सेवा दी। वर्ष 2019 से 2022 तक लखनऊ के एसजीपीजीआई हॉस्पिटल में डीएम (क्लीनिकल इम्यूनेलाॅजी एवं रयूमेटोलॉजी) की डिग्री हासिल की। यही पर 2022 से सितंबर 2024 तक असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में सेवा दी। फिलहाल डॉ. उपेंद्र इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में सेवा दे रहे हैं।
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