धूमधाम से निकली भगवान शालिग्राम की बारात
हाटपीपल्या (नरेंद्र जाट)। नगर के वार्ड क्रमांक 8 व 9 अशोक गंज में देवउठनी ग्यारस के पावन पर्व पर कई वर्षों से चली आ रही परंपरा का निर्वाहन हुआ। इस वर्ष भी देवउठनी ग्यारस के पावन पर्व पर भगवान शालिग्राम-तुलसी विवाह का आयोजन किया गया।
5 दिन पूर्व से यहां विवाह का कार्यक्रम चल रहा था। तुलसी माता को खाने गार लाकर माता पूजन एवं हल्दी, मेहंदी लगाई गई। शालिग्राम भगवान को भी गणेश पूजा के साथ हल्दी, मेहंदी, तेल चढ़ाया गया और प्रतिदिन रोजाना महिलाएं शाम को भजन-कीर्तन किए। देवउठनी ग्यारस पर पं. गोपाल जोशी चासियां वाले द्वारा विधि-विधान व मंत्रोचार के साथ भगवान शालिग्राम और तुलसी माता का विवाह किया गया। अशोकगंज की महिलाओं ने सार्वजनिक रूप से यह विवाह का आयोजन किया, जिसमें भगवान शालिग्राम की बारात बड़े धूमधाम के साथ लेकर तुलसी माता के यहां पहुंचे, जहां पर भगवान शालिग्राम एवं तुलसी का विवाह संपन्न किया गया, जिसमें कन्यादान मामेरा आदि का आयोजन भी हुआ।
मान्यतानुसार कार्तिक मास में देवउठनी एकादशी के दिन जो भी तुलसी का विवाह करवाता है और कन्यादान करता है उसे बेटी के विवाह जितना कन्यादान करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन सुहागनों को ये विवाह जरूर करवाना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तुलसी को वृंदा नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, तुलसी ने भगवान विष्णु को श्राप दिया था, जिस वजह से वो काले पड़ गए थे, तभी से शालीग्राम रूप में उन्हें तुलसी के चरणों में रखा जाता है। तभी से भगवान विष्णु की पूजा को तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी मनुष्य देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह करवाता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
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