,

मानव जीवन बलिदान के लिए है, बदले के लिए नहीं- पं. पुष्पानंदन तिवारी

Posted by

Share

– पकड़ना है तो परमात्मा को पकड़ के रखो, कपट को नहीं

देवास। जिस दिन कपट छोड़ोगे उसी दिन परमात्मा प्रकट होंगे। कपट रहित जीने से स्वयं ही कल्याण हो जाएगा। जो होना है वह होता ही है, फिर किसी को निपटाने के लिए कपट व बदले की भावना आखिर क्यों मन में पाले हैं। शास्त्र कहता है कि मानव जीवन बदले के लिए नहीं बलिदान के लिए हैं। जब तक शरीर त्याग नहीं करेगा, तब तक शांति संभव नहीं है। त्याग से ही शांति संभव है। पकड़ना है तो परमात्मा को पकड़ों। कपट को पकड़कर मत रखो। भगवान को प्राप्त करने का एक ही माध्यम है मन को ईर्ष्या, कपट रहित करो। हमारी पकड़ तो न जाने कब छूट जाएगी, लेकिन परमात्मा की पकड़ कभी छूटती नहीं है। यह विचार कथा वाचक पं. पुष्पानंदन तिवारी ने अग्रवाल धर्मशाला नयापुरा में श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को व्यक्त किए। आयोजक मंडल के हनुमानप्रसाल अग्रवाल, कला अग्रवाल, अग्रवाल समाज के अध्यक्ष सोहनलाल अग्रवाल, उपाध्यक्ष भगवान अग्रवाल, गोविंद अग्रवाल, मां चामुंडा सेवा समिति के रामेश्वर जलोदिया, उम्मेदसिंह राठौड़, राधेश्याम बोडाना, इंदरसिंह गौड़, नारायण व्यास, दिनेश सांवलिया, सुधीर शर्मा, ताराचंद सिंघल, मंजू जलोदिया, दुर्गा व्यास ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना की। पं. श्री तिवारी का शाल, श्रीफल व मां की चुनरी ओढ़ाकर अभिनंदन किया। कथा प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 6 बजे तक होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *