टोंकखुर्द में राष्ट्रीय लोक अदालत हुई संपन्न

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Lok adalat

– न्यायाधीशों ने पक्षकारों को बांटे फलदार पौधे

भौंरासा/टोंकखुर्द (मनोज शुक्ला)। शनिवार को न्यायालय परिसर टोंकखुुुर्द में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया।

लोक अदालत के प्रारंभ में न्यायाधीश बीएस सोलंकी व आयुषी श्रीवास्तव ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर लोक अदालत का विधिवत शुभारंभ किया।

इस अवसर पर उपस्थित पक्षकारों को संबोधित करते हुए न्यायाधीश श्री सोलंकी ने कहा कि देश की अदालतों में लाखों मुकदमे लंबित हैं और नए मामलों की तादाद बढ़ती ही चली जा रही है। देखा गया है कि दीवानी मामलों का जल्दी निपटारा नहीं हो पाता और कुछ मामले तो पीढ़ियों तक चलते रहते हैं। इससे समय और धन दोनों का दुरुपयोग होता है। इसकी वजह यह भी है कि विवाद होने पर लोग ताव-ताव में कोर्ट में चले जाते हैं और आपसी समझौते की गुंजाइश नहीं टटोलते। बाद में उन्हें पछताने की नौबत आ जाती है। एक बार कोर्ट की सीढ़ी चढ़ जाने के बाद वकील, दलील और अपील का लंबा सिलसिला शुरू हो जाता है। दोनों पक्ष इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न या नाक की लड़ाई बना लेते हैं। निचली अदालत में हारने पर उससे ऊपर की अदालत में अपील दाखिल की जाती है। तारीख पे तारीख मिलती चली जाती है और हाथ कुछ नहीं आता है इसलिए इन सभी चीजों से बचने के लिए लोक अदालत में अपने मामले आपसी सुलझ से निपटाएं।

न्यायाधीश आयुषी श्रीवास्तव ने लोक अदालत में अधिक से अधिक मामलों को निराकरण कराए जाने पर बल दिया। उन्होंने लोक अदालत की महत्ता को बताते हुए कहा कि लोक अदालत में मुकदमों के निराकरण होने से न तो किसी की हार होती है, न ही किसी की जीत, क्योंकि इसमें जो भी मामला निस्तारित होता है पक्षकारों की सहमति और सुलह-समझौते के आधार पर होता है और लोक अदालत में निस्तारित मामलों की न तो अपील होती है और न ही रिवीजन, मामला अंतिम रूप से निस्तारित हो जाता है। जिससे आम लोगों के समय के साथ ही धन की भी बचत होती है। साथ ही आपसी कटुता भी समाप्त हो जाती है।न्यायाधीश श्री सोलंकी की खंडपीठ में 30 प्रकरणों का निराकरण हुआ। वहीं न्यायाधीश आयुषी श्रीवास्तव की खंडपीठ में 24 प्रकरणों का आपसी राजीनामे के तहत निराकरण हुआ।लोक अदालत में राजीनामा करने पक्षकारों को न्यायाधीशगण बीएस सोलंकी व आयुषी श्रीवास्तव ने पौधे वितरित किए।

लोक अदालत में सुलह कराने में वरिष्ठ अभिभाषक गोविंद सिंह पटेल, दिलीपसिंह पंवार, जगदीश सिंह गालोदिया, सौदान सिंह ठाकुर, मुश्ताक अहमद सिद्दीकी, सुमेरसिंह यादव, पदमसिंह उदाना, श्याम गालोदिया, संतोष सिंह जाट,अंतरसिंह खरवाडिया, जगदीश लाठिया, शशिकांत शर्मा, आशीष भंडारी, सतीश पटेल, अजय बामनिया, विनय श्रीवास्तव, दीपेश व्यास, दीपक वर्मा, सुनील वर्मा, शाहरुख पटेल, विष्णु गालोदिया, गौतम गालोदिया, विनय गोस्वामी, सितारा सैय्यद, एडीपीओ सीएस परमार व न्यालयीन कर्मचारीगण का सराहनीय योगदान रहा।

सालों से बिछड़े पति-पत्नी हुए एक-

सुनीता की शादी सिंगाराम पटेल से हुई थी और दोनों का एक 3 साल का बेटा भी है। सुनीता ने छोटे-मोटे घरेलू विवाद के कारण सिंगाराम के विरूद्ध वर्ष 2023 में घरेलू हिंसा का प्रकरण दर्ज कराया था और तभी से पति-पत्नी अलग-अलग रह रहे थे, लेकिन लोक अदालत में न्यायाधीश आयुषी श्रीवास्तव व अधिवक्ता सौदान सिंह ठाकुर व सुमेरसिंह यादव की समझाइश पर दोनों सारे गिले शिकवे भूलकर साथ रहने को राजी हो गए। न्यायालय में एक-दूसरे के गले में माला पहनाई और मिठाई खिलाई और खुशी-खुशी अपने घर रवाना हो गए। इस प्रकार लोक अदालत के माध्यम से सालों से अलग रह रहे पति-पत्नी हो गए।

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