देवास। दिल का दौरा अर्थात हृदय आघात घटनाओं को दृष्टिगत रखते हुये इसके हरसंभव बचाव हेतु तत्काललिक रूप से सीपीआर उपचार देकर हम किसी भी नागरिक की जान बचाने मे मदद कर सकते है।
इस उद्देश्य को लेकर नगर निगम द्वारा अमलतास अस्पताल की चिकित्सकों की टीम के साथ एक कार्यशाला मंगलवार को मल्हार स्मृति आडिटोरियम में आयोजित की गई। कार्यशाला में आयुक्त रजनीश कसेरा के द्वारा उपस्थित होकर बीएलसी, सीपीआर के संबंध में मॉड्यूल के जरिए समझा। चिकित्सकों द्वारा निगम स्वच्छता निरीक्षकों, दरोगाओं, आईईसी सदस्यो, सफाई मित्रों को भी समझाया गया। सीपीआर का प्रदर्शन कर सीपीआरकी बारीकियों के बारे में जाना, उनके साथ निगम स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष धर्मेन्द्रसिह बैस उपस्थित रहे।
अमलतास अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सोनाली अग्रवाल, डॉ. जाग्रति, डॉ. लक्ष्मण, डॉ.दिव्यम, मार्केटिंग डायरेक्टर अश्विन तंवर के द्वारा मनुष्य को शीत ऋतु में आकस्मिक रूप से होने वाले ह्दयघात से सीपीआर के माध्यम से बचाव करने के तरीकों व तत्कालिक रूप से किसी को मदद करने के बारे में पावर प्रेजेन्टेशन के माध्यम से समझाया गया।
कार्यशाला में चिकित्सकों द्वारा दी गई जानकारी अनुसार सीआरपी के स्टेप सुरक्षा के लिए घटनास्थल की जांच करें, प्रारंभिक प्रभाव बनाए, यदि व्यक्ति अनुत्तरदायी प्रतीत होता है, तो शाउट-टैप-चिल्ला का उपयोग करके प्रतिक्रियाशीलता, सांस लेने, जीवन-घातक रक्तस्राव या अन्य जीवन-धमकाने वाली स्थितियों की जांच करें। यदि व्यक्ति प्रतिक्रिया नहीं देता है और सांस नहीं ले रहा है या केवल हांफ रहा है, तो 9-1-1 पर कॉल करें और उपकरण प्राप्त करें या किसी को ऐसा करने के लिए कहें। व्यक्ति के बगल में घुटने टेकें। व्यक्ति को उसकी पीठ के बल एक सख्त, सपाट सतह पर लिटाएं,अमेरिकन रेड क्रॉस सीपीआर दिशानिर्देश प्रति मिनट 100 से 120 छाती संपीड़न की सलाह देते हैं, एक समय में 30। ये पांच बातें याद रखें:हाथ की स्थिति: दो हाथ छाती के मध्य में शारीरिक स्थिति: कंधे सीधे हाथों के ऊपर; कोहनियाँ बंद संपीड़न गहराई: कम से कम 2 इंच संपीड़न की दर: 100 से 120 प्रति मिनट प्रत्येक संपीड़न के बाद छाती को सामान्य स्थिति में लौटने दें, दो साँसें दें सिर-झुकाव/ठोड़ी-लिफ्ट तकनीक का उपयोग करके वायुमार्ग को पूर्व-तटस्थ स्थिति में खोलें नाक को चुटकी से बंद करें, सामान्य सांस लें और अपने मुंह से व्यक्ति के मुंह को पूरी तरह सील कर दें। सुनिश्चित करें कि प्रत्येक सांस लगभग 1 सेकंड तक चले और छाती ऊपर उठे; अगली सांस देने से पहले हवा को बाहर निकलने दें ध्यान दें: यदि पहली सांस से छाती ऊपर नहीं उठती है, तो सिर को पीछे झुकाएं और दूसरी सांस देने से पहले उचित सील सुनिश्चित करें। यदि दूसरी सांस से छाती ऊपर नहीं उठती है, तो हो सकता है कि कोई वस्तु वायुमार्ग को अवरुद्ध कर रही हो, छाती को 30 बार दबाने और 2 सांसों के सेट देना जारी रखें। जैसे ही एईडी उपलब्ध हो, उसका उपयोग करें! छाती को दबाने में रुकावट को कम से कम 10 सेकंड से कम करें।
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