– कभी बूंदाबांदी तो कभी रिमझिम बारिश, पकी हुई फसल को सुरक्षित रखना किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने वाली सोयाबीन फसल की कटाई जोरशोर से चल रही है और इधर मौसम ने करवट बदल ली। बादलों ने डेरा डाला हुआ है तो बीच-बीच में बूंदाबांदी व कभी-कभी रिमझिम बारिश भी हो रही है। मौसम के बदलाव ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। अगर तेज बारिश होती है तो फसल के खराब होने का अंदेशा है। एक साथ कई खेतों में फसल पकने से सोयाबीन की कटाई के लिए मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं, जो मजदूर काम करने को तैयार है तो उन्होंने अपनी मजदूरी बढ़ा दी है।
बादलों की लुकाछिपी एवं बारिश के बीच किसान परिवार एवं मजदूर वर्ग खेतों में सोयाबीन काटकर एकत्रित कर रहे हैं। बीच-बीच में हो रही बारिश ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। साफ मौसम को देखकर मजदूर कटाई शुरू करते हैं और इस बीच बारिश होने लगती है। ऐसे में कटी हुई सोयाबीन को सुरक्षित रखने में किसानों को परेशानी हो रही है। वैसे तो सालभर किसान खेतों में मेहनत करता है, लेकिन इन दिनों मौसम को देखते हुए किसानों का अधिकांश वक्त खेतों में गुजर रहा है। किसान जैसे-तैसे अपनी पकी हुई सोयाबीन फसल को सुरक्षित रखना चाहता है। किसान विक्रम भगत, भोजराज दांगी, महेंद्र दांगी, भागीरथ पटेल, प्रेम नारायण दांगी, डॉ. संतोष चौधरी आदि ने बताया कि जिन्होंने सोयाबीन की कटाई कर ली, वे जल्द से जल्द उसे मंडी में बेच रहे हैं। ऐसे में उन्हें उचित भाव भी नहीं मिल रहे हैं। कटाई के लिए मजदूर 350 से 400 रुपए प्रतिदिन एवं 1600 से 1800 रुपए प्रति बीघा कटी हुई सोयाबीन को एकत्रित करने के लिए ले रहे हैं। क्षेत्र में बड़ी मुश्किल से सोयाबीन काटने के लिए मजदूर मिल रहे हैं।
गांव से कई मजदूर बागली, डबलचौकी, तिल्लौर, बरोठा, सिरोलिया, देवास, इंदौर आदि स्थानों पर सोयाबीन कटाई के लिए गए हैं। सोयाबीन निकालने वाली मशीन के लिए किसानों को 250 से 300 रुपए प्रति बोरा देना पड़ रहा है। बारिश होने से खेतों में हार्वेस्टर मशीन भी नहीं पहुंच पा रही है। इस बार सोयाबीन का उत्पादन प्रति बीघा 3 से 4 क्विंटल ही हो रहा है और मौसम का बिगड़ा रूख भी किसानों को परेशान कर रहा है। अगर मौसम साफ रहा तो किसानों को आर्थिक ताकत मिलेगी। मजदूर परिवारों को भी आगामी त्योहारों को उत्साह से मनाने के लिए भरपूर मजदूरी मिल जाएगी।
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