– सोयाबीन के साथ अब मक्का ने भी किसानों को आर्थिक रूप से किया कमजोर
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। मौसम की प्रतिकूलता से इस बार फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा। पीला सोना अर्थात सोयाबीन का उत्पादन भी गिरा है तो मक्का ने भी किसानों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी है। अधिक बारिश ने मक्का की क्वालिटी को कमजोर किया है। सोयाबीन से हताश किसानों को मक्का से उम्मीद थी, लेकिन मक्का ने भी किसानों को निराश किया है। मंडी में इसके भाव भी कम मिल रहे हैं।
रामपुर, कामठ, अंबापानी, गुवाड़ी, कूपगांव, बावड़ीखेड़ा आदि क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसान मक्का की खेती करते हैं। इस बार अधिक वर्षा व आंधी चलने से मक्का का उत्पादन एक तिहाई भी नहीं हो सका। अधिकतर खेतों में अधिक वर्षा, आंधी से मक्का तिरछी होकर टूट गई थी। मक्का उत्पादक किसानों के सामने आर्थिक संकट गहरा गया है। किसानों ने उम्मीद के साथ मक्का लगाई थी, कि पकने के बाद प्रति बीघा में 12 से 15 क्विंटल उत्पादन हो सकेगा। हर साल इसी प्रकार से मक्का का उत्पादन होता है, लेकिन इस बार प्रति बीघा तीन से चार क्विंटल मक्का का उत्पादन ही हो रहा है। क्वालिटी कमजोर होने से इसके अच्छे भाव की उम्मीद भी नहीं है।
इस वर्ष अतिवृष्टि के कारण यह फसल शुरुआत में ही गल गई और अपनी निर्धारित ऊंचाई नहीं ले सकी। क्षेत्र में लगभग 70 प्रतिशत तक रकबा बिगड़ गया। अधिक वर्षा ने किसानों की उम्मीद पर पानी फेर दिया। गिरता हुआ उत्पादन किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रहा है। बाजार में खराब क्वालिटी की मक्का 1600 से 1700 रुपए प्रति क्विंटल तक ही बिक रही हैं, जबकि उच्च क्वालिटी की मक्का होने पर उनके भाव 2100 प्रति क्विंटल से अधिक बिक रही है। उत्पादन कम होने से किसानों को अब फायदे की उम्मीद नहीं है।
बीमा राशि प्रदान करें-
किसान शिवशंकर (छोटू) पटेल, प्रताप बछानिया, भंवर राठौर, शांतिलाल कर्मा, मेहताब बचानिया आदि किसानों ने बताया, कि मोटे अनाज में मक्का की फसल सबसे बेहतर मानी जाती है। इस वर्ष अधिक बारिश से निश्चित तौर पर उत्पादन प्रभावित हुआ है। अधिक वर्षा से मक्का के पौधे छोटे रह गए थे, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली मक्का नहीं हुई। केसीसी द्वारा बीमा राशि काटी गई है। मक्का उत्पादक किसानों बीमा कंपनी बीमा राशि प्रदान करें।
मक्का की फसल को 75 प्रतिशत नुकसान-
भारतीय किसान संघ के पूर्व जिला अध्यक्ष गोवर्धन पाटीदार ने बताया, कि मक्का की फसल को अधिक वर्षा से लगभग 75 प्रतिशत नुकसान हुआ है। कई खेतों में प्रति बिघा उत्पादन तीन से चार क्विंटल ही हुआ है। वर्षा साथ आंधी ने भी फसल को नुकसान पहुंचाया।
अधिक बारिश से प्रभावित हुई फसल-
कृषि विस्तार अधिकारी आरके विश्वकर्मा का कहना है, कि मक्का का हर साल उत्पादन काफी बेहतर रहता है। इस बार रकबा करीब 50 से 60 प्रतिशत तक बिगड़ गया। अधिक वर्षा होने से फसल प्रभावित हुई है।
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