- मां के दरबार में मिलती है असाध्य रोगों से जल्दी ही मुक्ति
नीमच। जिला मुख्यायल से लगभग 16 किमी दूर जावद तहसील के ग्राम पंचायत मोड़ी में स्थित प्राचीन खेड़ा माताजी का मंदिर, जिसे मोड़ी माताजी मंदिर भी कहा जाता है आरोग्य तीर्थ के रूप में सुप्रसिद्ध है। यहां प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में श्रृद्धालु आते हैं और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हैं।
मान्यता है, कि मोड़ी माताजी मंदिर में दर्शन कर, भभूत का सेवन करने से लकवा रोग सहित अन्य असाध्य रोगों से जल्दी मुक्ति मिल जाती है। नवरात्रि में तो, इस मंदिर पर मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। नीमच जिले के निपानिया शक्ति पीठ के संत महामंडलेश्वर सुरेशानंद शास्त्री बताते हैं, कि मोड़ी माताजी मंदिर के समीप एक सुंदर बावड़ी स्थित है। इस प्राचीन बावड़ी का जनसहयोग से जीर्णोद्धार किया गया है। इस बावड़ी का स्वरूप ही बदल गया है। इस बावड़ी के जीर्णोद्धार के दौरान जो पत्थर निकले, वे परमार कालीन है। अत: मोड़ी माताजी के मंदिर को भी परमार काल के सम्यतुल्य माना जा सकता है। माताजी की मूर्ति भी अनादि काल से यहां स्थापित बताई जा रही है।
महामंडलेश्वर श्री शास्त्री ने बताया, कि जनपद सदस्य राजेंद्र प्रसाद नागदा ने मंदिर समिति के सदस्यगणों एवं क्षेत्रवासियों का सहयोग प्राप्त कर मंदिर के निर्माण एवं बावड़ी के जीर्णोद्धार कार्य में विशेष रूची ली, परिणाम स्वरूप आज मोड़ी माताजी मंदिर का स्वरूप ही बदल गया है और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी काफी बढ़ गई है। नवरात्रि में हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन कर, रात्रि में ठहरते हैं। मंदिर के परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए काफी विकास कार्य हुए हैं। मंदिर की व्यवस्थाएं एवं प्रबंध तहसीलदार जावद की निगरानी में प्रबंधन समिति द्वारा किया जा रहा है।
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