– संघर्षमय जीवन में परिश्रम कर हुए सफल
– पुत्र भी डॉक्टर के रूप में पिता के सेवा कार्यों को बढ़ा रहे हैं आगे
देवास (सुनील पटेल)। भगवान ने आपको मनुष्य जीवन दिया है। आप अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी और निष्ठा से करें, जिससे आपके न रहने पर भी आपकी कमी महसूस हो और आपको हमेशा लोग याद करें।
आज हम बात करने जा रहे हैं, ऐसे ही कर्मठ योद्धा, सेवाभावी, सरल स्वभाव के धनी स्वर्गीय प्रहलाद जी नागर की।
देवास जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर भौरासा से दक्षिण में 3 किलोमीटर की दूरी पर बसा गांव काकड़दा के गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले स्वर्गीय पहलादसिंह नागर ने 4 बच्चों व माता-पिता की जिम्मेदारी के साथ-साथ समाज व गांव की जिम्मेदारी भी निभाई। इतना ही नहीं नागर जी ने 30 साल किर्लोस्कर कंपनी में नौकरी भी की और वह भी पगडंडी व कीचड़ भरे रास्तों से पैदल व साइकिल से चलकर। बड़े संघर्षमय जीवन में उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई में कोई कसर बाकि नहीं रखी। बच्चों को इतना योग्य बना दिया कि सभी अपने पैरों पर खड़े हो गए।
ग्रामीणों ने बताया कि नागर जी बच्चों से लेकर बुजुर्गों सभी के साथ सरल स्वभाव का व्यवहार करते थे। गांव में किसी छोटे-बड़े वाद-विवाद में समझौता करवाने जैसे अन्य सभी कार्यों में नागर जी की अहम भूमिका रहती थी। गांव में शादी समारोह हो या नुक्ता या अन्य कार्यक्रम, सभी में गांव के लोग नागर जी से सलाह लेते थे।
गांव में गरीबों के तो वे मसीहा थे।
नागर जी के बड़े बेटे डॉ रूपसिंह नागर चिकित्सक के रूप में भौरासा में पिछले 25-30 सालों से चिकित्सा सेवा दे रहे हैं। कोरोना काल में कई डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया था, लेकिन डॉ रूपसिंह नागर ने संकट की इस घड़ी में देवदूत के रूप में ग्रामीणों का इलाज कर कई लोगों की जान बचाई। उनकी पत्नी भी सेवा कार्यों में आगे हैं और सुख-दुख में उनके साथ खड़ी रहती है।
डॉक्टर रूपसिंह नागर की लड़के कुलदीप सिंह और अरविंद सिंह भी दंत चिकित्सक के रूप में सेवा दे रहे हैं। नागर जी के छोटे बेटे सुमेरसिंह पूर्व सरपंच रह चुके हैं और इनकी पत्नी भी वर्तमान में महिला सरपंच के रूप में लोगों की सेवा कर रही है। स्वर्गीय नागर जी की दो लड़कियां भी है, जिनके बच्चे भी हैं एमडी के रूप में चिकित्सा सेवा दे रहे हैं।
स्वर्गीय नागर जी की पुण्यतिथि गत दिवस मनाई गई। नागर परिवार के लोगों की उपस्थिति में विधि-विधान से पिंड दान, तर्पण व विभिन्न प्रकार से अनुष्ठान किए गए। गाय/ कौआ/कन्या एवं ब्राह्मण भोज के पश्चात सैकड़ों लोगों को भोजन करवाया गया।
स्वर्गीय नागर जी के पुत्र डॉ. रूपसिंह नागर ने बताया कि पिताजी का 90 साल की उम्र में चलते-फिरते निधन हो गया था। पिताजी ने कहा था कि किसी गरीब का दिल ना दुखाना, हो सके उतनी मदद जरूर करना। आज हम उनके बताए गए मार्ग पर चलकर बड़ा आनंद महसूस करते हैं और हमेशा सेवा भाव में लगे रहते हैं। पिताजी की याद में श्राद्ध पक्ष में तृतीय पुण्यतिथि मनाकर अन्नदान किया।
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