भगवान भाव के भूखे होते हैं- कृपासिंधु महाराज

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Bhagvat katha
देवास। चामुण्डापुरी, राधागंज में पंडित परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा में कथावाचक वृंदावन से पधारे भागवताचार्य पं. कृपासिंधु महाराज ने ध्रुव चरित्र एवं भरतजी के उत्तम चरित्र पर विस्तार से व्याख्या की एवं कहा कि उनके चरित्र से प्रेरणा लेकर प्रत्येक पुत्र को माता-पिता की सेवा करनी चाहिये। उनके पालन-पोषण में माता-पिता द्वारा किये त्याग को सदैव याद रखना चाहिये।

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बिना माता-पिता की सेवा के मनुष्य को सुख-समृद्धि एवं आत्मिक सुख प्राप्त नहीं हो सकता। बिना माता-पिता की सेवा के मनुष्य का कल्याण संभव नहीं है। भगवान भाव के भूखे होते हैं, भगवान श्रीकृष्ण ने दुर्योधन के 56 भोग छोड़कर विदुरजी के यहां केले के छिलके का भोजन प्रेम से खाकर प्रसन्न हुए। समस्त पूजन कार्य पं. गजेन्द्र शास्त्री एवं गुबरेलेजी द्वारा किया गया।

कथा की व्यवस्था विक्रमसिंह चौधरी, मदनलाल जैन, यश राठौर, बजरंगलाल मीणा, प्रहलाददास भावसार, मोहित पंड्या, अशोक चौबे, डीपी शुक्ला, मधुसूदन यादव, देवकरण कारपेन्टर आदि ने देखी। आरती अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ देवास के अध्यक्ष पं. दिनेश मिश्रा, अनूपसिंह जादौन, पूर्व अध्यक्ष पं. संजय शुक्ला एवं कार्यकारणी के सदस्य सतीष दुबे, महेन्द्र स्थापक, आदित्य दुबे, जगदीश कानूनगो, कृष्णकांत शर्मा, नयन कानूनगो, सुदर्शन दुबे, कपिल व्यास, राम पदारथ मिश्रा, राधेश्याम शर्मा, किशोरीलाल शर्मा, आकाश अवस्थी, चन्द्रशेखर दुबे, मधुसदन शर्मा, राधेश्याम तिवारी ने की।

इस अवसर पर पंडित परिवार के सदस्य रमेश जोशी, महेश जोशी, अशोक जोशी, वासुदेव जोशी, दिलीप शर्मा सहित बड़ी संख्या में पुरुष एवं महिलाओं ने उपस्थित होकर संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कर धर्म लाभ प्राप्त किया।

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