जीवन के दुःखों और संशय को दूर करती है भागवत कथा

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श्रीराम द्वारा में हुआ भागवत कथा का समापन

देवास। जीवन के दुखों और संशय को दूर करती है भागवत कथा।राजा परीक्षित के मन में जो दुविधा और शंकाएं थीं, वह आज भी हमारे मन में रहती है, लेकिन उनका समाधान पहले भी भागवत कथा थी और आज भी भागवत  कथा ही है। इसलिए हमें भागवत कथा और हमारे धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करके अपने जीवन को सफल और परोपकारी बनाना चाहिए।

यह विचार श्रीराम द्वारा में भागवत कथा के समापन पर महंत  स्वामी रामनारायणजी ने प्रकट किए। दतात्रय भगवान के 24 गुरु का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, कि जीवन में हमें अनेक स्रोतों से शिक्षा मिलती है। शिक्षा जीवनभर चलने वाली प्रक्रिया है इसलिए जहां से भी हमें शिक्षा मिले, प्रेरणा मिले ले लेना चाहिए। मानव जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं, रुकावटें आती रहती हैं। यह  सब जीवन का अंग है, इसलिए कभी भी निराश या दुखी नहीं होना चाहिए, बल्कि धार्मिक ग्रंथ का अध्ययन कर अपनी ऊर्जा को बढ़ाकर उन समस्याओं का सामना करना चाहिए।

कथा में हमारे प्रदेश व देश की प्रगति और उन्नति के लिए राम मंत्र का उच्चारण किया गया और प्रार्थना की गई।कथा के समापन पर सभी श्रद्धालुओं ने भागवत ग्रंथ की परिक्रमा की एवं भाव-विभोर होकर कथा को विश्राम दिया। श्रीराम द्वारा में भागवत कथा के समापन पर सभी भक्तों ने महंतजी का अभिनंदन किया।संतराम सुमिरनजी ने कथा में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग के लिए सभी श्रद्धालुओं का एवं पत्रकार बंधुओं का आभार माना।

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