भागवत कथा जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न करती है

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पूर्णाहुति पर आचार्य कृपाशंकर शास्त्री ने बताया भागवत कथा का महत्व

बेहरी हीरालाल गोस्वामी। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। भागवत कथा सभी ग्रंथों का सार है। भागवत कथा का श्रवण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज के समय में दिनभर की मेहनत एवं व्यस्तता के चलते भी कुछ समय निकालकर भागवत कथा का श्रवण कर लिया तो भवसागर से पार हो सकते हैं।

ये विचार यदुवंशी यादव समाज के तत्वावधान में श्रीमद भागवत कथा की पूर्णाहुति पर आचार्य कृपाशंकर शास्त्री ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज का युवा मोबाइल की दुनिया में खोया है। मोबाइल का ज्यादा उपयोग करने से लोग अपने से दूर होते जा रहे हैं। दिल से दिल का रिश्ता कम हो रहा है। युवा मोबाइल का प्रयोग सदुपयोग करने के लिए करें। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय मित्र सुदामा थे। सुदामा और कृष्ण की मित्रता अखंड थी। ऐसी मित्रता आज के समय में कम देखने को मिलती है।

कथा की पूर्णाहुति पर आचार्यश्री के सानिध्य में हवन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने लोक कल्याण की भावना से आहूति दी। मुख्य यजमान हरिनारायण यादव ने धर्मपत्नी अनीता यादव के साथ आरती की। रामनारायण यादव व रुक्मणि यादव ने आरती के साथ प्रसाद वितरण का लाभ लिया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने कलश यात्रा निकाली। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं कलश लेकर शामिल हुईं। कलश यात्रा भोमियाजी मंदिर के समीप राजगढ़ नदी तक पहुंची। यहां विसर्जन किया गया। विसर्जन के पश्चात कथा पंडाल तक श्रद्धालु पहुंचे व कथा की पूर्णाहुति की।

सरपंच हुकमसिंह बछानिया, पूर्व सरपंच रामचंद्र दांगी, रामेश्वर यादव, दयाराम यादव, मोतीलाल यादव, शिवनारायण यादव, देवकरण यादव, जगदीश यादव, राधेश्याम यादव, शंकरलाल यादव, धनलाल यादव, परसराम यादव का विशेष सहयोग रहा। इस अवसर पर भंडारा किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने महाप्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ लिया।

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