बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। श्रीमद भागवत कथा में आचार्य कृपाशंकर शास्त्री ने श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन किया।
महाराजश्री ने कहा धनवान व्यक्ति वही है जो अपने तन, मन, धन से सेवा, भक्ति करे। परमात्मा की प्राप्ति सच्चे प्रेम के द्वारा ही संभव हो सकती है। पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए महाराजश्री ने बताया कि पूतना राक्षसी ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पुतना का वध कर उसका कल्याण किया।
माता यशोदा जब भगवान श्रीकृष्ण को पूतना के वक्षस्थल से उठाकर लाती है तो उसके बाद पंचगव्य गाय के गोबर, गोमूत्र से भगवान को स्नान कराती है। सभी को गौ माता की सेवा, गायत्री का जाप और गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए।
उन्होंने कहा गाय की सेवा से 33 करोड़ देवी-देवताओं की सेवा हो जाती है। भगवान ब्रजरज का सेवन कर यह दिखला रहे हैं कि जिन भक्तों ने मुझे अपनी सारी भावनाएं व कर्म समर्पित कर रखे हैं, वे मेरे कितने प्रिय हैं। भगवान स्वयं अपने भक्तों की चरणरज मुख के द्वारा हृदय में धारण करते हैं।
पृथ्वी ने गाय का रूप धारण कर श्रीकृष्ण को पुकारा तब श्रीकृष्ण पृथ्वी पर आए। वह मिट्टी में नहाते, खेलते और खाते हैं ताकि पृथ्वी का उद्धार कर सकें।
गोप बालकों ने जाकर यशोदा माता से शिकायत कर दी–’मां तेरे लाला ने माटी खाई है। यशोदा माता हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आयीं। ‘अच्छा खोल मुख।’ माता के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण ने अपना मुख खोल दिया। श्रीकृष्ण के मुख खोलते ही यशोदाजी ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्यमान है। आकाश, दिशाएं, पहाड़, द्वीप, समुद्रों के सहित सारी पृथ्वी, बहने वाली वायु, वैद्युत, अग्नि, चन्द्रमा और तारों के साथ सम्पूर्ण ज्योतिर्मण्डल, जल, तेज अर्थात प्रकृति, अहंकार, देवगण, इन्द्रियां, मन, बुद्धि, त्रिगुण, जीव, काल, कर्म, प्रारब्ध आदि तत्त्व भी मूर्त दीखने लगे। पूरा त्रिभुवन है। उसमें जम्बूद्वीप है, उसमें भारतवर्ष है और उसमें यह ब्रज, ब्रज में नन्दबाबा का घर, घर में भी यशोदा और वह भी श्रीकृष्ण का हाथ पकड़े। बड़ा विस्मय हुआ माता को।
श्रीकृष्ण ने देखा कि मैया ने तो मेरा असली तत्त्व ही पहचान लिया है। श्री कृष्ण ने सोचा यदि मैया को यह ज्ञान बना रहता है तो हो चुकी बाल लीला, फिर तो वह मेरी नारायण के रूप में पूजा करेगी। न तो अपनी गोद में बैठाएंगी, न दूध पिलायेगी और न मारेगी। जिस उद्देश्य के लिए मैं बालक बना वह तो पूरा होगा ही नहीं। यशोदा माता तुरन्त उस घटना को भूल गयीं।
महाराज ने कहा कि आजकल की युवा पीढ़ी अपने धर्म, अपने भगवान को नहीं मानती है। अपने धर्म को जानना चाहते हो तो पहले अपने धर्म को जानने के लिए गीता, भागवत व रामायण पढ़ो, तुम नहीं तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी हो जाएगी। ब्रजवासियों ने इंद्र की पूजा छोडकर गिरिराज जी की पूजा शुरू कर दी तो इंद्र ने कुपित होकर ब्रजवासियों पर मूसलाधार बारिश की, तब कृष्ण भगवान ने गिरिराज जी को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का मान मर्दन किया। तब इंद्र को भगवान की सत्ता का अहसास हुआ और इंद्र ने भगवान से क्षमा मांगी व कहा हे! प्रभु मैं भूल गया था कि मेरे पास जो कुछ भी है वो सब कुछ आप का ही दिया हैम कथा में राधे कृष्ण गोविंद गोपाल राधे राधे भजन पर भक्तों ने खूब आनंद उठाया।
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