संस्कृति और विरासत को सहेजकर रखें- स्वामी रामनारायणजी

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डोल ग्यारस

श्रीराम द्वारा में पूजा-अर्चना कर नगर के प्रमुख मार्गों से निकाली डोल

देवास। संस्कृति और विरासत से ही हमारा जीवन प्रेरणा लेता है और प्रगति करता है इसलिए हमेशा हमें हमारी संस्कृति और विरासत को सहेजकर उसे पल्लवित करते रहना चाहिए।

यह विचार श्रीराम द्वारा में भागवत कथा के दौरान स्वामी राम नारायणजी ने प्रकट किए। भागवत कथा के अंतर्गत संपूर्ण भूमंडल एवं अंतरिक्ष का विस्तार से वर्णन सुनाया। उन्होंने कहा कि हमारा देश साइंस के क्षेत्र में भी प्राचीन काल से उन्नत रहा है और विश्व को मार्गदर्शन देता आया है। सभी ग्रह उनकी गति, मौसम, जलवायु का भारतीय ऋषि मुनियों को संपूर्ण ज्ञान था। दधीचि ऋषि और व्रत्तासुर प्रसंग का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि असुरी शक्तियों के विनाश के लिए बलिदान जरूरी है। मानव का कर्तव्य है कि वह प्रत्येक परिस्थिति में ईश्वर पर पूर्ण रूप से श्रद्धा रखें।

शनिवार को डोल ग्यारस के अवसर पर रामद्वारा में सभी श्रद्धालुओं ने डोल की पूजा की और उसे नगर भ्रमण कराया। गणेश उत्सव श्रीराम द्वारा में श्रद्धा पूर्वक मनाया जा रहा है। रामद्वारा में श्वेत आंकड़े के गणेशजी विराजित किए गए हैं। संत राम सुमिरनजी ने बताया कि रामद्वारा परिसर में 25 वर्ष पूर्व श्वेत आंकड़े के पेड़ की जड़ से यह गणेशजी निकले थे, उन्हीं को यहां पर स्थापित किया जाता है।

राम स्नेही सत्संग मंडल ने सुमधुर भजन प्रस्तुत किए। डोल ग्यारस के अवसर पर श्रीराम द्वारा में स्वामी रामनारायणजी, रामसुमिरणजी, पुनीत रामजी ने पूजा अर्चना कर डोल को श्रीराम द्वारा से नगर के प्रमुख मार्गों से निकालजर मीठा तालाब ले जाया गया। रविवार को वामन जयंती मनाई जाएगी। कथा का समय दोपहर 1 से 5 बजे तक रखा गया है। कथा में सैकड़ों श्रद्धालु धर्म लाभ ले रहे हैं।

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