देवास। भगवान भाव के भूखे हैं। भाव से जो भगवान को भजता है, स्मरण करता है उसका बेड़ा पार हो जाता है। अगर मन में भगवान के प्रति सच्चा भाव नहीं है, तो भक्ति बेकार है। हम ऐसा कोई काम करें, जिससे भगवान हमारे हो जाए। जो माया मोह है इसका त्याग करो। जब तक त्याग की भावना नहीं होगी, तब तक परमात्मा मिलने वाले नहीं हैं। जो वस्तु हम भेंट करते हैं वह एक गुणा नहीं, चार गुणा होकर हमारे पास आती है।
यह विचार रामी गुजराती माली रामकृष्ण मंदिर बड़ा बाजार में श्रीमद् भागवत कथा के दौरान व्यासपीठ से पं. अजय शास्त्री सियावाले ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा, कि भगवान जब धराधाम छोड़कर जा रहे थे तो उद्धवजी ने कहा कि प्रभु हमें भी अपने साथ ले चलो। भगवान ने कहा कि उद्धव! मैं मेरी सबसे प्यारी वस्तु तुम्हें देता हूं क्योंकि मैं अपने धाम जा रहा हूं। मैं वह कथा आपको अर्पण करता हूं।
पं. शास्त्री ने कहा कि हमने सब छोड़ दिया लेकिन कपट नहीं। ऐसी भक्ति किस काम की जो विकारों से भरी हो। किसी ने लहसुन छोड़ दी, लेकिन लहसुन छोड़ने से क्या होगा। लहसुन छोड़ने की कोई जरूरत नहीं है। पहले अपने मन में व्याप्त विकारों को छोड़ो। प्याज तो छोड़ दिया पर ब्याज नहीं छोड़ा। परमात्मा प्रेम के भूखे हैं, धन के नहीं। बस उनसे प्रेम करो बाकी सब त्याग दो।
इस दौरान पं. शास्त्री ने भक्ति गीत कलियुग में ये कैसी उलटी गंगा बहा रहा है बेटा अपने माता-पिता को ठोकर लगा रहा है.. की सुमधुर प्रस्तुति से दी ताे श्रद्धालु भावविभोर हो गए। वामन अवतार की भावपूर्ण व्याख्या की गई। आयोजन समिति रामी गुजराती माली समाज द्वारा व्यासपीठ की पूजा अर्चना कर आरती की गई। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।
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