आचार्य पं. कृपाशंकर शास्त्री ने श्रीमद भागवत कथा में दिए अनुकरणीय संदेश
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। सनातन धर्म में रामायण एवं भागवत गीता महत्वपूर्ण ग्रंथ है। जब भी व्यक्ति भटकता है या परेशान रहता है तो इन ग्रंथों में लिखी बातें जीवन में लाते ही उसके दुख दर्द दूर हो जाते हैं। रामलीला का मंचन रंगमंच पर कलाकार करते अवश्य हैं, लेकिन वास्तव में रामायण पढ़ना-सुनना सुखद अनुभव रहता है। हमारे शास्त्र ही हमें सही मार्ग दिखाते हैं।
यह अनुकरणीय संदेश श्रीमद भागवत कथा में आचार्य पं. कृपाशंकर शास्त्री ने संबोधित करते हुए दिए। यदुवंशी अहीर यादव धर्मशाला में दूसरे दिन कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। कथा में भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति से ओतप्रोत भजनों में भक्त भाव-विभोर हो उठे। आचार्यश्री ने कहा कि भागवत कथा में बचपन से लेकर अपने परम धाम में जाने तक जो लीला श्रीकृष्ण भगवान द्वारा रची गई, वही लीला हमारे आस-पास सदैव रहती है। भाई-बंधु, नातेदार, रिश्तेदार सब उसी कृष्ण लीला के पात्र हैं, पर कृष्ण बनने के लिए त्याग एवं संयम कृष्ण जैसा होना चाहिए।
भागवत कथा के दौरान आरती का लाभ शेरूलाल यादव ने लिया। आरती के बाद मावे के लड्डू का प्रसाद वितरित किया गया। कथा में यादव समाज के वरिष्ठ देवकरण यादव, अभिभाषक गोविंद यादव, हरिनारायण यादव, रामेश्वर यादव, राधेश्याम कामदार, शिक्षक ओम यादव, मनोहर यादव, देवकरण यादव, विष्णु यादव, रामनारायण यादव, शंकरलाल यादव, गोपाल यादव, प्रेम नारायण यादव, रवि यादव, पंकज यादव, मुकेश यादव, राहुल यादव, अंशुल यादव, केशव यादव, राजेश यादव, हरिनारायण यादव आदि का विशेष सहयोग प्राप्त हो रहा है।
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