भागवत कथा में आचार्य कृपाशंकर शास्त्री ने दिए अनुकरणीय संदेश
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। श्रीमद भागवत कथा के श्रवण और पठन दोनों का महत्व है। यह कथा जीवन के सभी कष्टों का निवारण करती है। श्रीमद भागवत कथा के श्रवण व मनन से मोक्ष के द्वार खुलते हैं। यह कथा जीवन जीने की कला सीखाती है। जहां पर भी श्रीमद भागवत कथा हो, वहां अवश्य जाएं। कथा को विश्वास व श्रद्धा के साथ श्रवण करें, निश्चित तौर पर भगवान की कृपा आप पर होगी।
यह अनुकरणीय संदेश बेहरी में श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिवस अवधूत आश्रम वृंदावन मथुरा के कथा वाचक आचार्य कृपाशंकर शास्त्री ने दिए। उन्होंने कहा कि नियमित रूप से सत्संग करने से भगवत कृपा की प्राप्ति होती है। हमारे जीवन का लक्ष्य भगवान की प्राप्ति होना चाहिए। भगवान की प्राप्ति के लिए हृदय की पवित्रता बहुत ही महत्वपूर्ण है। काम, क्रोध, मोह आदि विकार हमें भगवान के समीप नहीं आने देते। इसके लिए नियमित रूप से कथा श्रवण करें।
आचार्यश्री ने कहा कि हमारा शरीर पंचतत्व से बना है, जिसमें मिट्टी भी शामिल है। जब तक इसमें जान नहीं रहती, तब तक यह निर्जीव मिट्टी के समान रहता है। ईश्वर इसमें हलचल पैदा करने के लिए जान डालते हैं और हम उस ईश्वर को जिंदा होते ही भूलने लगते हैं और तो और 9 माह गर्भ में रखने वाली मां का भी एहसान भूलते हैं, इसलिए समाज का पतन हो रहा है। आध्यात्मिक जीवन के साथ धार्मिक संस्कार होना बेहद जरूरी है।
कथा के पूर्व कलश यात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। कथा 17 सितंबर तक प्रतिदिन दोपहर 12 से तीन बजे तक श्री यदुवंशीय अहीर यादव समाज धर्मशाला में होगी। कथा की पूर्णाहुति पर दोपहर दो बजे से भंडारा किया जाएगा। कथा में यादव समाज के वरिष्ठ देवकरण यादव, अभिभाषक गोविंद यादव, हरिनारायण यादव, रामेश्वर यादव, राधेश्याम कामदार, शिक्षक ओम यादव, मनोहर यादव, देवकरण यादव, विष्णु यादव, रामनारायण यादव, शंकरलाल यादव, गोपाल यादव, प्रेम नारायण यादव, रवि यादव, पंकज यादव, मुकेश यादव, राहुल यादव, अंशुल यादव, केशव यादव, राजेश यादव, हरिनारायण यादव आदि का कथा में विशेष सहयोग प्राप्त हो रहा है।
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