- यंत्र के माध्यम से खेत की लगातार वैज्ञानिक रूप से होती है निगरानी
- वर्तमान एवं अगले 15 दिन के मौसम के पूर्वानुमान की सटीक जानकारी देता है यह यंत्र
जबलपुर। किसान कल्याण तथा कृषि विभाग द्वारा जिले में नवाचार को बढ़ावा देने के प्रयासों के फलस्वरूप किसानों द्वारा अपने खेतों में मिनी मौसम केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं। जिले में अभी तक 10 किसान अपने खेतों में मिनी मौसम केंद्र (ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन) स्थापित कर चुके हैं।
इन्हीं में से एक जबलपुर विकासखंड के ग्राम कलगुड़ी, बरेला की प्रगतिशील महिला कृषक अंशुमाला अजय धगट के जैविक फॉर्म में करीब दो माह पहले लगाये गये मिनी मौसम केंद्र का संयुक्त संचालक कृषि केएस नेताम, जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्व विद्यालय जबलपुर के कुलसचिव आरएस सिसोदिया, उप संचालक कृषि डॉ एसके निगम, जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के सॉइल साइंस के वैज्ञानिक डॉ जीएस टैगोर एवं अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी ने निरीक्षण किया।
इस मौके पर किसान श्रीमति अंशुमाला ने बताया कि मिनी मौसम केंद्र से उन्हें वर्तमान एवं अगले 15 दिन के मौसम के पूर्वानुमान की सटीक जानकारी उपलब्ध हो जाती है। श्रीमति धगट ने बताया कि वे अपने लगभग 10 एकड़ खेत का मध्यप्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था भोपाल में जैविक प्रमाणीकरण हेतु पंजीयन करा चुकी है। उनके जैविक फार्म पर 110 गिर गाय हैं। इन गायों के गोबर एवं गोमूत्र से जीवामृत बनाने के लिए एडवांस लिक्विड बायोफर्टिलाइजर स्थापित किया गया है। एडवांस लिक्विड बायोफर्टिलाइजर किट में प्रतिदिन 200 लीटर जीवामृत तैयार होकर निकलता है। इसका प्रयोग वे अपने खेत में ही कर रही हैं।
मिनी मौसम केंद्र के निरीक्षण के अवसर पर संयुक्त संचालक कृषि के एस नेताम ने बताया कि मिनी मौसम केंद्र एक छोटा यंत्र है, जिसे हर किसान द्वारा लगाया जा सकता है। इसकी मदद से किसान के खेत की लगातार वैज्ञानिक रूप से निगरानी होती है और यह वर्तमान फसल में मिट्टी की स्थिति और मौसम की स्थिति अवगत कराता है। सटीक सिंचाई, कीट और रोग नियंत्रण खाद कार्यक्रम तथा स्प्रे कार्यक्रम जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में यह किसान की मदद करता है।
उप संचालक कृषि डॉ एसके निगम ने बताया कि मिनी मौसम केंद्र फसलों के बारे में बीस प्रकार की जानकारी किसानों मुहैया करा सकता है। करीब 50 हजार रुपये कीमत का सॉफ्टवेयर आधारित ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (मिनी मौसम केंद्र) सूर्य के प्रकाश की तीव्रता, हवा की गति, हवा की दिशा, हवा का तापमान, हवा में नमी, वायुदाब, वर्षा, मिटटी का तापमान, मिट्टी की नमी के दो स्तर और पत्तियों पर नमी जैसे महत्वपूर्ण पैरामीटर का पता लगाकर आगामी मौसम की जानकारी किसान को देने का कार्य करता है। जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्व विद्यालय के मृदा विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ जीएस टैगोर ने बताया कि इस उपकरण से अत्यधिक रसायन के प्रयोग में कमी आयेगी और मृदा स्वास्थ्य में सुधार होगा।
अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी के मुताबिक किसानों को मिनी मौसम केंद्र की सहायता से खेतों के लिए सटीक पानी प्रबंधन की जानकारी, खेत में पिछले दिये गये पानी का डाटा, फसलों में दी जाने वाली खाद की मात्रा, हफ्ते में कितने और कौन से पोषक तत्व दें इसकी जानकारी, पिछले डेटा के आधार पर रोग और कीटों का पूर्वानुमान, स्प्रे का सुझाव एवं स्प्रे करने के सही समय के साथ अगले 15 दिवस के मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी मिलती है। जिससे न केवल किसान आर्थिक नुकसान होने से बच सकता है, बल्कि किसान द्वारा जो अतिरिक्त रसायन फसल में डाले जाते है, उससे भी निजात पाई जा सकती है। डॉ त्रिपाठी ने बताया कि पाटन विकासखण्ड के ग्राम मादा, थाना और मुर्रई में भी किसानों द्वारा मिनी मौसम केंद्र स्थापित किये गये हैं।
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