सोमवती अमावस्या पर हजारों श्रद्धालुओं ने किया नर्मदा के जल में पवित्र स्नान

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नर्मदा के गहरे जल स्तर को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के किए पुख्ता इंतजाम

नेमावर (संतोष शर्मा)।
सोमवती अमावस्या पर्व पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा के पवित्र जल में स्नान कर पुण्य लाभ लिया। इसके साथ ही पितृ शांति के लिए तर्पण एवं विशेष पूजन-अर्चन किया। भगवान सिद्धनाथ के दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना की।

अमावस्या की पूर्व संध्या रविवार से ही तीर्थ यात्रियों का नर्मदा स्नान के लिए आगमन प्रारंभ हो गया था। कई श्रद्धालु तो पैदल ही स्नान के लिए आए। श्रद्धालुओं के आने का यह क्रम सोमवार शाम तक अनवरत जारी रहा। जो भक्त रविवार की संध्या में तीर्थ नगरी नेमावर पहुंचे थे, उन्होंने मां नर्मदा की संध्या आरती के साथ दीपदान किया। रात्रि में मां नर्मदा की भक्ति में जागरण कर भजन-कीर्तन किया। सुबह शुभबेला में मां नर्मदा के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाई। मां को कढ़ाई प्रसादी अर्पण कर बाबा सिद्धनाथ की भस्म आरती के दर्शन किए। पूजन, जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि, आरोग्य की मंगल कामना की। ब्राह्मणों को दान, दक्षिणा भेंटकर आशीष लिया। गरीबों को अन्न, वस्त्र का दान कर पुण्य लाभ लिया।

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इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक आशीष शर्मा के सानिध्य में नर्मदा तट पर हर अमावस्या पर्व पर किया जाने वाला भंडारा कराया गया। इस भंडारे में हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। नगर परिषद अध्यक्ष कृष्ण गोपाल अग्रवाल, सीएमओ बलिराम मंडलोई ने निरंतर भ्रमण कर सोमवती अमावस्या पर्व पर साफ-सफाई, पेयजल, रात्रि में आने वाले पैदल यात्रियों के लिए धर्मशालाओं व स्कूलों में ठहरने की व्यवस्था की।

प्रशासन ने किए सुरक्षा के इंतजाम-
वही पुलिस प्रशासन ने नर्मदा के बढ़े हुए जल स्तर को देखते हुए स्नान वाले सिद्धनाथ घाट, नागर घाट, इमली घाट, नावघाट आदि पर सुरक्षित स्नान संपन्न किए जाने के लिए नावों पर तैराक दलों को तैनात किया गया था। व्यवस्था हेतु भारी संख्या में पुलिस बल की जगह-जगह तैनाती रखी गई थी। मुख्य स्नान वाले घाट के पहुंच मार्ग पर वाहनों की जाम की स्थिति उत्पन्न होती थी। इस बार व्यवस्था होने से यातायात सुगम रहा। इससे यात्रियों को राहत हुई। पिछले पर्वों पर वाहनों की रेलमपेल से भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था, लेकिन इस बार आम वाहन चालकों के लिए राहतभरा रहा।

उल्लेखनीय है कि अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण, पिंड दान और पूजा की जाती है। इस दिन गौ दान और स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। अमावस्या का दिन पूर्वजों और पितरों को याद करने के लिए सबसे शक्तिशाली दिन माना जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव, श्रीहरि और माता लक्ष्मी की उपासना की जाती है। सोमवती अमावस्या को पिठोरी अमावस्या, भादो अमावस्या और भाद्रपद अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस तिथि को सोमवती अमावस्या मनाई जाती है।

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