खेतों में कीटनाशक का छिड़काव करते समय रखें सावधानी- उदावत

Posted by

spraying pesticides
spraying pesticides

बगैर सुरक्षा मापदंड के दवाई का स्प्रे हो सकता है घातक, मास्क भी पहनना जरूरी

बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश किसान सोयाबीन की फसलों को कीटाणु मुक्त करने एवं खरपतवार की रोकथाम के लिए खेतों में विभिन्न प्रकार के कीटनाशक दवाओं का बड़े पैमाने पर छिड़काव कर रहे हैं। देखा जा रहा है कि किसान इन घातक दवाओं का खेतों में स्प्रे बिना सुरक्षा मापदंड को पूरे किए तथा लापरवाही से कर रहे हैं। इससे कोई भी अनहोनी हो सकती है। कीटनाशकों के छिड़काव के समय किसान मास्क आदि का उपयोग नहीं कर रहे हैं। यह किसानों के लिए घातक है।

उक्त बातें पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी एवं कृषक सुरेंद्रसिंह उदावत व वर्तमान कृषि विकास अधिकारी काशीराम चौहान ने चैनपुरा में आयोजित कृषक चौपाल के दौरान बताते हुए कही। उन्होंने कहा, कि हमेशा कीटनाशक का छिड़काव बहती हवा की दिशा में ही करना चाहिए, विपरीत दिशा में करने से नुकसान हो सकता है। विगत 5 वर्षों में कई घटनाएं क्षेत्र में ऐसी हो गई, जिसमें कीटनाशक दवाइयाें के छिड़काव के समय की गई लापरवाही का नतीजा जानलेवा साबित हुआ। विगत वर्ष क्षेत्र में दवाई छिड़ककर आने के बाद टंकी का ढक्कन एकदम खोलने से उसकी जहरीली गैस से एक किसान बेहोश हो गया था, जिसे तत्काल अस्पताल ले जाना पड़ा।

अस्पताल में आते हैं ऐसे मामले-
बागली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ डॉक्टर हेमंत पटेल ने बताया, कि बारिश के दिनों में अक्सर ऐसे मामले अस्पताल में आते हैं। इनमें कीटनाशक दवाई के घातक जहर के परिणाम स्वरूप गंभीर अवस्था में लोग आते हैं। इन घटनाओं में ऐसे भी मामले रहते हैं, जिसमें दवाई स्प्रे करते समय दवाई स्प्रे करने वाले व्यक्ति पर इसका असर होता है और वह बेहोश हो जाता है, इसलिए सावधानीपूर्वक कीटनाशक दवाइयाें का छिड़काव करें और उपयोग में की गई पॉलिथीन और अन्य दवाई की खाली बोतल जमीन में गाढ़ने के प्रबंध करें।

कृषि वैज्ञानिक की सलाह-
देवास कृषि विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ कृषक वर्तमान अागर कृषि विज्ञान केंद्र में पदस्थ अशोककुमार दीक्षित ने बताया, कि सोयाबीन फसल एवं कपास फसल में इल्ली प्रकोप के लिए घातक जहरीले कीटनाशक का उपयोग में किया जाता है। खेत में कीट प्रकोप तो खत्म हो जाता है लेकिन यही दवाई वातावरण में भी घुलनशील होती है, जिससे जहरीला प्रदूषण होता है। ऐसी अवस्था में दवाई स्प्रे का समय सुबह 6 बजे से 9 बजे तक उचित रहता है। तेज हवा चलने पर इसका उपयोग रोक देना चाहिए। साथ में दवाई छिड़काव करने वाले व्यक्ति को मुंह पर मास्क और हाथ में दस्ताने पहनकर यह काम करना चाहिए।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *