नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….

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Bhagvat katha

चापड़ा (नरेंद्रसिंह ठाकुर)। ग्राम अमरपुरा के हनुमान मंदिर प्रांगण में श्रीमद् भागवत कथा
के चतुर्थ दिन पुंजापुरा से पधारी पूजा शर्मा ने भरत जी के चरित्र, भरत शत्रुघ्न संवाद सुनाया और कहा, कि संसार में रहते हुए भगवान का भजन करना चाहिए। संसार की वस्तुओं में आसक्ती नहीं रखना चाहिए।

साथ ही समुद्र मंथन, कच्छप अवतार, मोहिनी अवतार, असुर देवताओं ने समुद्र मंथन किया उसका वृतांत सुनाया। जो विष निकला उसे भगवान शिव ने धारण किया। महालक्ष्मीजी ने भगवान विष्णु को वरण किया। इस प्रकार से अनेकों कथाओं का वर्णन करते हुए सूर्यवंश, चंद्रवंश का वर्णन किया और भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हुए भक्तों का मार्गदर्शन किया।

बताया कि कथा का अमृत पान करने से जन्म, मृत्यु, दुख, सुख के भय से छुटकारा मिलता है। देवताओं ने जो अमृत पिया उस अमृत को पीने से जन्म मृत्यु के भय से छुटकारा नहीं मिलता हैं, परंतु श्रीमद् भागवत पुराण की कथा का श्रवण अमृत से भी श्रेष्ठ है।

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श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से ढोल ढमाकों के साथ नाचते गाते नृत्य कीर्तन करते हुए मनाया। भक्तों को माखन, मिश्री और पंचमेवा का प्रसाद वितरित किया गया। भागवत कथा में सैकड़ों महिलाएं-पुरुष उपस्थित थे।

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