नेमावर (संतोष शर्मा)। सोमवार को सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर में आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के शिष्य और नवाचार्य समयसागर महाराज के आज्ञानुवर्ती निर्यापक श्रमण मुनिश्री वीर सागरजी महाराज ससंघ के चातुर्मास कलश की स्थापना हुई।
पुनीत जैन ने बताया, कि कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से हुई। आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज और नवाचार्य समयसागरजी महाराज के चित्र का अनावरण और उनके समक्ष दीप प्रज्वलन आगरा, मंडीदीप, दिल्ली, मुम्बई, पुणे, नीमच सहित अन्य स्थानों से भक्तों ने किया। ट्रस्ट कमेटी और वृत्ति आश्रम के ब्रम्हचारियों ने मुनिश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
मुनिश्री के पाद-प्रक्षालन और शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य मनोरमा देवी, रितु-शरद अजमेरा परिवार बानापुरा को प्राप्त हुआ। बोलियों के माध्यम से मंगल कलश स्थापना करने वालों का चयन किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप भैयाजी और सुधांशु जैन ने किया।
मुनिश्री वीरसागरजी ने कहा आचार्यश्री प्रत्यक्ष रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वे परोक्ष रूप से हम सभी के बीच हैं और हमें आशीर्वाद दे रहे हैं। नर्मदा के तट पर स्थित इस तीर्थ का एक-एक कण जैसे आचार्यश्री की याद दिला रहा हो और उनकी गाथा गा रहा हो। यहां की हवा मानों आचार्यश्री की वरगणा के रूप में हमें स्पर्श कर रही हो।
मुनिश्री ने कहा श्रावक अपने द्रव्य से पाषाण के मंदिर और तीर्थ बना देता है, लेकिन साधु-संत अपने तप और साधना से तीर्थ को पवित्र बनाते हैं। यहां आचार्यश्री ने लंबे समय तक साधना की है। सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र की भूमि अति पवित्र है।
चातुर्मास के प्रमुख कलशों को स्थापित करने का सौभाग्य:
-अमृत सिद्धि कलश और सिद्ध साधना कलश (गुप्त), हीरालाल विभु बेनाड़ा परिवार आगरा, बसंत जैन मुम्बई, नरेंद्र विमला जैन बीड़ी वाला परिवार इंदौर, सोंधिया परिवार आगरा, सचिन जैन इंदौर, विमल जैन गोवर्धा औरंगाबाद, सुरेश सुशील काला परिवार खातेगांव, सुरेंद्र जैन परिवार हरदा, जिनेश पदम काला बानापुरा, विनोद जैन परिवार मंडीदीप सहित अन्य परिवारों को बोली के माध्यम से कलश लेने का अवसर प्राप्त हुआ।
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