कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि विभाग के अधिकारियों ने बागली क्षेत्र में किया भ्रमण
देवास। लगातार बारिश से क्षेत्र में फसलों की स्थिति ठीक नहीं है। कई खेतों में पानी बहने लगा है, तो कई खेतों में जल निकासी नहीं होने से सोयाबीन की फसल गलने लगी है। बोवनी के बाद लगातार पानी गिरने से सोयाबीन, मक्का एवं अन्य फसलों में बढ़वार नहीं हो पा रही है। फसलों को धूप की दरकार है। क्षेत्र में बोई जाने वाली मुख्य फसल सोयाबीन है, जो बहुत कम पानी में पकने वाली फसल है, लेकिन बोवनी के बाद लगातार बारिश हो रही है। खेतों से पानी बाहर नहीं हो रहा है। ऐसे में फसलों को नुकसान की आशंका है। बागली क्षेत्र में कृषि वैज्ञानिक एके बड़ाया एवं कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आरपी कनेरिया, श्री गंगराड़े, ग्राम सेवक सुखराम बारोड ने खेतों में उतरकर फसलों की स्थिति जानी। कृषि वैज्ञानिक बड़ाया ने बताया कि खेतों में जब तक जरूरत ना हो दवाई का स्प्रे ना करें। सोयाबीन फसल में यूरिया की जरूरत नहीं है व टानिक का बिल्कुल भी उपयोग ना करें। डिप्टी डायरेक्टर कनेरिया ने बताया कि बीज दर कम रखें। एक बीघा में हमेशा 20 से 22 किलो सोयाबीन बीज का उपयोग करें। खेतों में पानी बिल्कुल भी जमा ना होने दें। किसानों को सलाह दी कि मौसम खुलने पर खेत की निंदाई-गुड़ाई जरूर करें। उन्होंने राहुल पाटीदार, श्रीराम पाटीदार भमौरी, बालाराम पाटीदार इकलेरा के किसानों की सोयाबीन फसल देखी। संतोष पाटीदार, गोवर्धन पाटीदार भमौरी, आनंद शर्मा मुकुंदगढ़ के किसानों ने बताया कि लगातार बारिश से एक महीने बाद भी फसलों की ग्रोथ नहीं हो रही है। इस बार उत्पादन घटने की आशंका है।
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