संस्कार युक्त शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चे अपने वृद्ध माता-पिता की चाह के अनुरूप अपना कर्म करेंगे – विष्णुप्रपन्नाचार्यजी महाराज

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कनौद। माता-पिता अपने जीवन का सम्पूर्ण प्रदान करके अच्छी व उच्च शिक्षा के साथ अपनी संतति का निर्माण करते हैं। किंतु संस्कार विहीन आधुनिक शिक्षा के प्रभाव में काबिल बेटा अपने बूढ़े माता-पिता को समयाभाव का नाम लेकर कहता है मैं तो आपके पास आ नहीं सकता किंतु आपकी व्यवस्था कर सकता हूं, जबकि उम्र के उस पढ़ाव में माता-पिता को सिर्फ अपनी संतति की ही चाह रहती है। शिक्षा के इस स्वरूप को देखकर मन में बहुत पीढ़ा होती है। हमें ‎ऐसी संस्था मिले जिसमें शिक्षा के साथ संस्कार भी हो। ऐसी संस्था से ही हमारे नैतिक मूल्य जीवित रह पाएंगे।

श्रीमद्जगदगुरू नागेरिया पीठाधीश्वर स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्यजी महाराज ने शिक्षा व संस्कार से परिपूर्ण नवस्थापित श्रीनिवास विद्याविहार कन्नौद के प्रांगण में क्षेत्र के वैष्णवजनों के बीच अपने आर्शीवचन में ये बातें कहीं। स्वामीजी महाराज ने बताया कि माता-पिता अपने जीवन का सब कुछ लगाकर बच्चों को शिक्षा दिलाते है। किंतु आधुनिकता के प्रभाव के कारण उसमें संस्कारों का अभाव रह जाता है। जिसकी पीड़ा माता-पिता को बुढ़ापे में होती है। श्रेष्ठ संस्कृति के निर्माण के लिए क्षेत्र मे संस्कार के साथ शिक्षा के लिए परम वैष्णव विष्णुप्रसाद धूत व परिवार द्वारा श्रीश्रीनिवास विद्या विहार स्थापित किया। सनातन परम्परा के साथ शिक्षा अध्यापन कार्य होगा। जिससे हमारे नैतिक मूल्य जीवित रहेंगे। इस विद्यालय मे शिक्षा के साथ संस्कार का भी ज्ञान कराया जाएगा। संस्कारयुक्त शिक्षा से हमारी संतान, आवश्यकता होने पर तत्काल हमारे साथ रहेगी।

संस्था के डायरेक्टर विष्णुप्रसाद धूत, गिरीश धूत ने पूज्यश्री की उपस्थिति में कहा कि संस्कारों से युक्त शिक्षा ही हमारा ध्येय रहेगा। पूज्यश्री ने क्षेत्रवासियों से कहा, कि आप सभी स्वतंत्र है किंतु एक बार आकर संस्था का निरीक्षण के साथ चर्चा कर अनुभव करे। उसके बाद निर्णय लें कि बच्चे को कहां शिक्षा दिलाना है।

पूज्यश्री ने हर कक्ष की व्यवस्था को देखकर सराहा। आपके साथ इंदौर के लक्ष्मीनारायण लड्डा, मुदीत पलोड, गौरव बाल्दी, सुभाष मानधन्या, अमित मालू, सुमित श्रोत्रिय, पंकज मूंदड़ा सहित कन्नोद, कांटाफोड, लोहारदा, सतवास के श्रद्धालु उपस्थित थे। गोपाल धूत, प्रवीण धूत सहित परिवार ने पूज्यश्री का चरण वंदन कर सभी वैष्णवजनों का आभार माना।

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