छोटेपन के भाव से ही एक दिन शिखर तक पहुंच जाओंगे- पं. तिवारी
सुंद्रैल-बिजवाड़ (दिनेशचंद्र पंचोली)।
जब भी मंदिर में और सत्संग में जाए तो बार-बार घंटी नहीं बजाना चाहिए। एक बार ही धीरे से घंटी बजाना श्रेयस्कर है। देवालय के अंदर प्रवेश करते समय मुख्य देहरी पर पैर नहीं रखना चाहिए। देहरी पर नतमस्तक होकर प्रवेश करेंगे तो भगवान भरपूर आशीर्वाद देंगे, क्योंकि छोटे बनकर भगवान से कुछ मांगेंगे तो सबकुछ मिल जाएगा। भगवान के सम्मुख होकर बड़े बनोंगे तो कुछ भी नहीं मिलने वाला।
सोमनाथ गुजरात में चल रही भागवत कथा के छठवें दिवस भगवान शिव की महिमा सुनाते हुए भागवताचार्य पं. पुष्पानंद तिवारी कांटाफोड़ ने ये विचार व्यक्त किए। आपने कहा कि मंदिर के शिखर का अंतिम छोर सबसे छोटा होता है, इसलिए छोटेपन के भाव से ही एक दिन शिखर तक पहुंच जाओंगे। दुनिया में अच्छे कार्य करोंगे तो आपकी जय जयकार होगी।
आपने आगे कहा कि जो मनुष्य तीर्थों में अपने सगे संबंधियों को ले जाकर कथा करवाता है, उसका जीवन संवर जाता है। उसकी सात पीढ़ी तर जाती है। जीवन में इससे बड़ा कोई पुण्य कार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि एक रिटायर शिक्षक गिरधरगोपाल नागर ने सोमनाथ गुजरात में कथा करवाकर भागीरथी पुण्य का कार्य किया है। इस पुनीत कार्य की सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है। भगवान शिव का शहद, शकर, दूध, दही सहित 108 पदार्थों से पूजन-अभिषेक करने से सभी मन वांछित फल की प्राप्ति होती है। शिव आराधना से ही मनुष्य भव सागर से पार हो जाता है। भगवान से आप जितना प्रेम करोंगे भगवान भी आपको उतना ही सुखी संपन्न बना देंगे। सायंकाल में आचार्य द्वारा पार्थिव पूजन करवाया। सभी भक्त पूजन में सहभागी बने। पं. तिवारी ने कहा कि एक बार भगवान महादेव नाराज हो गए, तब पार्वती मैया ने पार्थिव पूजन कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था, तभी से पार्थिव पूजन प्रारंभ हुआ। शिवरात्रि को जो भी भक्त पार्थिव पूजन करता है, उसके जीवन में सदा प्रसन्नता रहती है। आपने कहा कि जलधारी को कभी लांघना नहीं चाहिए, इसे लांघना सबसे बड़ा अपराध है। कथा संयोजक रवि नागर, सरोज गिरधर नागर ने सपत्नीक व्यासपीठ का पूजन कर आशीर्वाद लिया।
Leave a Reply