- एक पेड़ का पत्ता टूटने से सारे संसार की असारता का ज्ञान हो जाता है- सद्गुरु मंगल नाम साहेब
देवास। राम जीव चराचर की श्वास में रमण कर रहे हैं। राम आदि और अनंत हैं। राम कोई व्यक्ति विशेष नहीं, कोई वस्तु नहीं, जिसे हम ले आएं। राम विदेही पुरुष हैं। जो प्राण रूप में सब में रमण कर रहा है। इसके चलते शरीर में ज्ञान और कर्म इंद्रियों का विकास हुआ। इस आधुनिक युग में हाथ से कारीगर ने अपनी भौतिक सुख सुविधाओं के लिए क्या-क्या बना डाला। मोटर बना दी, हवाई जहाज बना दिया कि हम जल्दी पहुंच जाएं।
यह आपने विकास किया कि हम जल्दी पहुंच जाएंगे, लेकिन यह यात्रा बाहर की यात्रा है। भीतर की यात्रा नहीं है। इसमें इतना आनंद नहीं जो आनंद भीतर की यात्रा में है। बाहरी वस्तुएं जो हमने बनाई, वे सब अचेत अवस्था में है, चैतन्य नहीं और जो चैतन्य नहीं है, उसमें आनंद कैसे प्राप्त हो सकता है। चैतन्य होने के बाद ही आनंद की अनुभूति हो सकती है।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सद्गुरु कबीर प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित गुरु-शिष्य चर्चा एवं गुरुवाणी पाठ में व्यक्त किए। सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने कहा, कि एक झाड़ से पत्ता टूटने पर सारे संसार की असारता का ज्ञान हो जाता है, कि संसार ऐसा ही है, जैसे पत्ता टूटा डाल से और पवन उड़ा ले जाए। ज्ञान होने वाले को एक पत्ते से ज्ञान हो जाता है। एक अश्वमेध यज्ञ करने वाले राजा को पत्तों के टूटने से ज्ञान हो जाता है, कि अश्वमेध यज्ञ करने पर कितनी माता-बहनें विधवा हो जाएंगी, कितने बच्चे अनाथ हो जाएंगे, लेकिन इंद्रियों के स्वाद में अत्याचार और दुराचार होते रहे हैं।
इस दौरान सद्गुरु मंगलनाम साहेब की महाआरती कर साध संगत ने आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम में सैकड़ों साध संगत ने शामिल होकर महाप्रसाद ग्रहण किया। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।
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