मित्रता हो तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी- पं. अजय शास्त्री

Posted by

Share

देवास। भगवान श्रीकृष्ण ने मित्र सुदामा के अपने आंसुओं से चरण धोए। मित्रता हो तो भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा जैसी हो।

यह विचार टिनोनिया माताजी के पास राष्ट्रीय राजमार्ग गोगाखेड़ी में श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम अवसर पर व्यास

पीठ से कथा वाचक पं. अजय शास्त्री सिया वाले ने व्यक्त किए। पं. शास्त्री ने श्रीकृष्ण-सुदामा मित्रता चरित्र का वर्णन करते हुए कहा, कि सुदामाजी और भगवान श्रीकृष्ण बचपन में गुरुकुल में साथ-साथ पढ़ने उज्जैन जाते थे। चोर चुराया हुआ चना आश्रम में छोड़ जाते हैं, वह चना गुरु माता सुदामाजी को देती हैं। सुदामा और कृष्ण दोनों वन में जाते हैं लकड़ी लेने। उस समय सुदामाजी वह चने खा लेते हैं। चुराए हुए अन्न को खाने से सुदामाजी को श्राप लगता है, कि जो भी चुराए हुए चने खाएगा वह पूरे जीवन गरीब रहेगा। तब भगवान कृष्ण आंसू बहाते हैं, कि मेरे मित्र मुझे श्राप नहीं लगे इसलिए अकेले ही चने खा लिए। फिर भगवान कृपा करते हैं और सुदामाजी के चरणों को अपने आंसुओं से धोते हैं। वह उनके दुख मिटा देते हैं। उनके श्राप को खत्म कर देते हैं। सुदामाजी द्वारा लाए गए चावल को खाकर तीनों लोकों की संपत्ति प्रदान कर देते हैं। जीवन में मित्रता हो तो सुदामा और भगवान श्रीकृष्ण जैसी हो।

इस दौरान पं. अजय शास्त्री ने देखो रे पहली बार श्याम प्रभुजी  भर-भर रोया.. दीन सुदामा के प्रभु ने आंसुओं से पग धोए… और बता मेरे यार सुदामा रे त तू घणा दीना में आयो… जैसे एक से बढ़कर एक भक्ति गीतों की संगीतमय प्रस्तुति दी तो श्रद्धालु भाव विभोर होकर झूमने लगे। जोशी परिवार एवं धर्मप्रेमियों ने व्यासपीठ की पूजा अर्चना कर महाआरती की। धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *