देवास। टिनोनिया माताजी के पास राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित ग्राम गोगाखेड़ी लक्ष्मी नारायण मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक पं. अजय शास्त्री ने विचार प्रकट करते हुए कहा, कि श्रीमद् भागवत कथा श्राप को भी वरदान में बदल देती है। राजा परीक्षित को श्राप लगा, गुरु शुकदेव मिले, कथा मिली, भागवत प्राप्ति का साधन मिला और श्राप वरदान बन गया। श्रीमद् भागवत कथा ने हम सभी के जीवन को सुधार दिया। इसे सुनें, पढ़े, मनन व चिंतन करें।
पं. शास्त्री ने कहा, कि मुनि शुकदेवजी ने राजा परीक्षित की मुक्ति के लिए सात दिन भागवत कथा सुनाई। जिसे सुन राजा परीक्षित भगवान की भक्ति में लीन हो गए। सात दिन पूरे होते ही श्रृंगी ऋषि के श्राप के अनुसार तक्षक नाग ने आकर परीक्षित को काट लिया, पर भगवान की भक्ति में लीन राजा परीक्षित को इसका पता तक नहीं चला। पं. शास्त्री ने कहा इससे पहले जब राजा परीक्षित को श्राप का पता चला तो उन्हें बहुत पछतावा हुआ। उन्होंने राज्य में आए शुकदेव मुनि से इसका उपाय पूछा। इस पर मुनि शुकदेव ने राजा परीक्षित की मुक्ति के लिए सात दिन भागवत कथा सुनाई। सात दिन पूरे होते ही भागवत कथा के प्रभाव से उन्हें मुक्ति प्राप्त हो गई।
जिस तरह से राजा परीक्षित श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कर श्राप से मुक्त हो गए, श्राप भी वरदान में बदल गया, उसी प्रकार अगर हम भक्ति में लीन होकर के कथा श्रवण करेंगे तो हमारा उद्धार हो जाएगा, इसलिए कथा को श्रद्धा भाव से श्रवण करें। जोशी परिवार एवं आयोजक मंडल द्वारा व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की। सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।
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