देवास। आनंद मार्ग प्रचारक संघ देवास सेवा धर्म मिशन के भुक्तिप्रधान हेमेन्द्र निगम काकू ने बताया, कि आनंद मार्ग के संस्थापक एवं मार्गगुरु श्रीश्री आनंदमूर्तिजी का 103वां जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। आनंद मार्ग जाग्रति आश्रम क्षिप्रा में भी बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया।
इस अवसर पर 3 घंटे का अष्टकाक्षरी सिद्ध महामंत्र बाबा नाम केवलम का अखंड कीर्तन किया गया। नारायण सेवा के साथ ही शरबत का वितरण किया एवं शोभायात्रा निकाली गई। मार्गगुरु दिव्य वाणी को विभिन्न भाषाओं में पढ़ा गया। इस अवसर पर आचार्य शांतव्रतानंद अवधूत ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि, वैशाखी पूर्णिमा के दिन गुरु श्रीश्री आनंदमूर्तिजी का जन्म 1921 में बिहार के जमालपुर में एक साधारण परिवार में हुआ था। परिवार का दायित्व निभाते हुए वे सामाजिक समस्याओं के कारण का विश्लेषण एवं लोगों को योग साधना आदि की शिक्षा देने में अपना समय देने लगे। सन 1955 में उन्होंने आनंद मार्ग प्रचारक संघ की स्थापना जमालपुर में की।
वे कहते थे कि कोई भी घृणा योग्य नहीं, किसी को शैतान नहीं कह सकते, मनुष्य जब शैतान या पापी बनता है जब उपयुक्त परिचालन पथ निर्देशन का अभाव होता है। वह अपने कुप्रवृत्तियों के कारण बुरा काम कर बैठता है। यदि उनकी कुप्रवृत्तियों को सुप्रवृत्तियों की ओर ले जाया जाए तो वह शैतान नहीं रह जाएगा। हर एक मनुष्य देव शिशु है, इस तत्व को मन में रखकर समाज की हर कर्म पद्धति पर विचार करना उचित होगा। जन्मोत्सव कार्यक्रम में देवास, इंदौर, उज्जैन, सोनकच्छ के साधकगण दीपक व्यास, डॉ. अशोक शर्मा, विकास दलवी, दीपसिंह तंवर, अरविंद सुगंधी, अशोक वर्मा, शिवसिंह ठाकुर, पीएल लबाना, पदमज दलवी, हरीश भाटिया, गोपालसिंह कुशवाह, अमित बैस, कोडवानीजी, धर्मदेव यादव, लाजवंती शर्मा, शुभांगी दलवी, मिनाक्षी तंवर, प्रवीणा सुगंधी, मीना ठाकुर, आशा वर्मा उपस्थित रहे।
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