हीरामंडी सीरीज़ मेरी नजरों में…
आज नेटफ्लिक्स की सीरीज़ हीरामंडी पर बात करूंगा। संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी यह सीरीज़ विगत चार दिनों में टुकड़े – टुकड़े में मैंने पूरी देखी।
संजय लीला भंसाली की हीरामंडी सीरीज़ कुल 8 एपीसोड की है। इसमें लाहौर की तवायफों की कहानी है। हमारे देश की आजादी के पहले लाहौर में इनका कुनबा ऐशोआराम के साथ रहता था। बड़े बड़े नवाब इनके कोठों पर मुजरा देखने-सुनने आया करते थे। साथ ही इन कोठों पर तहजीब सिखाई जाती थी।
लाहौर के यहां इन कोठों पर मल्लिका जान (मनीषा कोइराला) का एकछत्र राज्य है। उसने यह गद्दी अपनी बहन रेहाना (सोनाक्षी सिन्हा) की हत्या कर प्राप्त की थी। रेहाना की बेटी फरीदन (सोनाक्षी सिन्हा का डबल रोल) बड़ी होकर मल्लिका जान से बदला लेने आ जाती है।
मल्लिका जान की बेटी आलम जेब (शरमिन सहगल) एक नवाबजादे ताजदार (ताहा शाह) से प्यार करती है। कहानी बेहद रोचक ढंग से आगे बढ़ती है। आजादी की लड़ाई तथा क्रांतिकारियों का भी इसमें हवाला है। अंत में मल्लिका जान और फरदीन दोनों साथ आकर क्रांतिकारियों का साथ देती हैं।
सीरीज़ का फिल्मांकन भव्य है। सभी कलाकारों का अभिनय शानदार है। मुझे मनीषा कोइराला तथा सोनाक्षी सिन्हा का अभिनय बहुत पसंद आया। सीरीज़ के सभी एपीसोड 40 से 60 मिनट के हैं। डायरेक्शन तथा कहानी बांधे रखती है। कहीं भी बोरियत नहीं होती।
हीरामंडी सीरीज़ की एक विशेष बात यह भी है कि इसमें वन विभाग से सेवानिवृत्त श्री आरके दीक्षित, राज्य वन सेवा की बेटी स्नेहिल ने निर्देशन में लीला भंसाली को सहयोग किया है। इस सीरीज में दीक्षित जी के बेटे वैभव ने भी लेखन की जिम्मेदारी संभाली है।
इस तरह इस सीरीज में हमारे ही वन परिवार के बच्चों स्नेहिल तथा वैभव का सक्रिय योगदान रहा है। सीरीज़ बेहद रोचक है तथा देखे जाने योग्य है।
जय हिंद
अशोक बरोनिया
(वरिष्ठ लेखक एवं समीक्षक)
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