देवास। खबर नहीं पल की तो बात मत करो कल की, क्योंकि कब बुलावा आ जाए पता नहीं चलेगा। इसलिए बुढ़ापे में भक्ति करने का विचार छोड़ दो। भक्ति करना है तो जवानी रहते ही कर लो, क्योंकि पल भर की खबर नहीं कब मौत दरवाजा खटखटा दे। भक्ति करने का कोई समय निश्चित नहीं है। पिंजरे का पंछी उड़ जाए उससे पहले संभल जाओ। उससे पहले जाग जाओ।
यह विचार भवानी सागर में महिला मंडल द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन व्यासपीठ से पं. अजय शास्त्री ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा ना तो हमारे हाथ में जीवन है और न मृत्यु है। बुलावा राम का कभी भी आ सकता है। जाना पड़ेगा, उसके आगे कोई बहाना नहीं चलेगा। मौत ही अंतिम सत्य है। उसको सुधार लो, क्योंकि मौत को सुधारा जा सकता है, लेकिन टाला नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा आज करेंगे, कल करेंगे ऐसे करते-करते जीवन चला जा रहा है। आज हाथ-पैर चल रहे हैं। यदि मन की इच्छा पूरी नहीं होगी तो फिर जन्म लेना पड़ेगा और 84 लाख योनियों में भटकना पड़ेगा। यह जीवन भगवान की कृपा से मिला है और भगवान की कृपा से ही सब काम हो रहे हैं।
कथा में श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन के जीवंत प्रस्तुतिकरण से भक्त भाव-विभोर हो उठे। जैसे ही श्रीकृष्ण-सुदामा कथा पंडाल में आए, भक्तों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। पं. शास्त्री ने इस दौरान करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है…, मेरा आपकी ही कृपा से सब काम हो रहा है… की प्रस्तुति दी तो भक्त झूमने लगे। महिला मंडल द्वारा व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की गई। सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।
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