जहां भक्ति, वहां भगवान विराजमान होते हैं- पं. अजय शास्त्री

Posted by

Share

देवास। एक शिष्या भगवान के मंदिर में जाकर के रोज प्रार्थना करती थी, कि प्रभु आ जाएंगे.. आ जाएंगे, लेकिन वह सच्चे भाव से भगवान को याद नहीं करती थी, बल्कि स्वार्थवश याद करती थी, दिखावा करती थी। भाव से याद नहीं करोंगे तो भगवान नहीं आएंगे। भाव भक्त प्रहलाद के जैसा होना चाहिए। भक्त प्रहलाद ने भगवान को भाव से याद किया तो dभगवान नारायण खंबे में प्रकट हो गए।

यह विचार व्यासपीठ से पं. अजय शास्त्री सिया ने भवानी सागर में चंदा शर्मा महिला मंडल द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन सोमवार को व्यक्त किए। उन्होंने कहा भक्ति जब जीवन से जुड़ जाती है, तो वह इंसान भक्त हो जाता है। जैसे बैंक में आपका खाता है लेकिन जब तक बैंक में नहीं जाओंगे तब तक तुम्हारा व्यवहार अधूरा ही रहेगा। वैसे ही जब तक व्यक्ति भगवान की शरण में, कथा पंडाल में नहीं आते तब तक परमात्मा की कृपा नहीं मिलती।

उन्होंने कहा मेरे ठाकुरजी की शरण में जो एक बार आ जाता है, तो उस पर जरूर कृपा कर देते हैं। जहां भगवान की भक्ति होती है, वहां भगवान जरूर आते हैं। जहां भक्ति है, वहां भगवान विराजमान होते हैं। जो तन, मन, धन सब कुछ भगवान को अर्पित कर देता है, वही सच्चा भक्त होता है। जिसे संसार नहीं अपनाता, उसको मेरे गोविंद अपना लेते हैं।

उन्होंने आगे कहा जैसे कुम्हार मटका बनाता है तो उसे नित्य ठोक-ठोक कर गोल करता है और फिर पकाता है। जब आपको देता है तो आवाज करके, देखो यह टन- टन बोल रहा है। उसी प्रकार जो पक्का गुरु होगा वह अपने चेले को पूरी तरह से ठोक बजा करके देखता है, पूरी परीक्षा लेता है। संसार में गुरु बनाना है तो सोच-समझकर गुरु बनाओ, क्योंकि सद्गुरु के शब्द की यदि चोट पड़ जाए तो शब्द से तुम्हारा जीवन संवर जाएगा। शब्द ही विष और शब्द में ही अमृत है। एक शब्द औषधि बन जाता है तो एक शब्द घाव कर देता है। जीवन में हमेशा शब्दों को सोच विचार करके ही बोलना चाहिए। महिला मंडल मुख्य यजमानों द्वारा व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की गई। धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *