सायबर अपराधों के संबंध में एडवायजरी

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– अनजान नंबर खासकर जो +92 से शुरु होते हों, से आने वाले कॉल न उठाएं

– अपनी निजी जानकारी जैसे बैंक खाते संबंधी, आधार आदि को किसी के साथ साझा न करें

शाजापुर। राज्य सायबर पुलिस मध्यप्रदेश द्वारा नागरिकों को सायबर अपराधों के संबंध में जागरूकता के लिए एडवायजरी जारी की गई है। इसमें सायबर अपराधों से बचने के लिए जानकारी साझा की गई है। इस एडवायजरी को ध्यान में रखते हुए आप गंभीर ठगी से बच सकते हैं। अगर आप ठगी के शिकार हो गए हैं तो आपको क्या करना चाहिए, इसकी जानकारी भी एडवायजरी में दी गई है।

इंवेस्टीगेशन एजेंसियों के नाम पर डिजिटल अरेस्ट कर ठगी के संबंध में-

INTRODUCTION/परिचय- पिछले कुछ समय से विशेष प्रकार के सायबर अपराधों की शिकायत देखने में आ रही है, जिसमें आम नागरिकों को किसी इंवेस्टीगेशन एजेंसी/संस्था के वरिष्ठ अधिकारी के नाम से कॉल/व्हाट्सएप कॉल करके बड़े पैमाने पर ठगी की जा रही है।

MODUS OPRANDI/कार्य प्रणाली-

1. पिछले कुछ समय से एक विशेष प्रकार का अपराध देखने में आ रहा है, जिसमें सायबर अपराधी कॉल अथवा व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से संपर्क करते हैं। यह कॉल अधिकांशतः+92 (पाकिस्तानी) नंबर या किसी अन्य देश के नंबर (+91 के अतिरिक्त) से आते हैं।

2. संदिग्ध व्यक्ति कॉल करके आपको डराते हुए यह कहते हैं कि आपके PAN/AADHAR कार्ड का उपयोग करके पार्सल भेजा गया है, जिसमें नार्कोटिक्स (नशीली) सामग्री है।

3. जालसाज NCB/CBI/ED/NIA आदि इंवेस्टीगेशन एजेंसी के अधिकारी के नाम से बदल-बदलकर कभी कॉल, कभी व्हाट्सएप वीडियो कॉल करते हैं, और कहते हैं, कि उन्होंने आपके नाम से एक पार्सल पकड़ा है, जिसमें नार्कोटिक्स (नशीली) सामग्री है।

4. जालसाजों द्वारा कभी आपको कोर्ट फीस देने या जमानत देने के नाम से अथवा आपका नाम केस से हटाने के नाम पर पैसे की मांग की जाती है।

5. कभी-कभी वीडियो कॉल पर पुलिस अधिकारी से बात करने को भी कहते हैं। वीडियो कॉल पर रहते हुए आपको एक फर्जी नोटिस दे दिया जाता है, जिसमें आपको डिजिटल अरेस्ट करते हुए घर में ही रहने को कहा जाता है और कहा जाता है कि आप स्वयं को किसी कमरे में बंद कर लें तथा उनके सभी सवालों के जवाब दें। यह भी कहा जाता है कि कैमरे के सामने ही रहना है, कमरे में यदि कोई और आया तो आप दोनों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

6. धीरे-धीरे आपको और अधिक डराया जाता है और आपकी निजी व खातों तथा विभिन्न इंवेस्टमेंट की जानकारी आपसे ले ली जाती है। अंत में यह कहकर, कि शायद आपको गलत फंसा दिया गया है, आप जांच पूरी होने तक अपना पैसा आरबीआई/भारत सरकार के खाते में जमा कर दें, जो जांच पूरी होने के बाद आपको लौटा दिया जाएगा। इस पूरी कार्यवाही के दौरान आपको न ही किसी से संपर्क करने का मौका दिया जाता है, न ही बाहर जाने दिया जाता है और इस प्रकार आपसे मोटी रकम जमा करा ली जाती है।

PRECAUTION/एहतियात:

1. अनजान नंबर खासकर जो + 92 से शुरु होते हों, से आने वाले कॉल, व्हाट्सएप कॉल/वीडियो कॉल, टेलीग्राम कॉल न उठाएं।

2. भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई नियम नहीं है। अतः किसी के कहने पर या डर से खुद को कहीं बंद न करें।

3. अपनी निजी जानकारी जैसे बैंक खाते संबंधी, आधार आदि को किसी के साथ साझा न करें।

4. कोई भी संस्था आपसे आपका निजी पैसा किसी भी शासकीय खाते में जमा करने या सुरक्षित करने की सलाह नहीं देता। अतः कभी भी अपना पैसा किसी अनजान खाते में ट्रांसफर न करें।

5. यदि आपके साथ कोई सायबर अपराध घटित होता है तो उसकी शिकायत अपने नजदीकी पुलिस थाने में या www.cybercrime.gov.in या Cyber Crime Help Line (Toll Free)नंबर 1930 पर करें।

बच्चों की गिरफ्तारी का डर दिखाकर ठगी के संबंध में-

Introduction/परिचय- वर्तमान में एक विशेष प्रकार का सायबर अपराध देखने को मिल रहा है, जिसमें आपके बच्चे जो आपसे दूर शहर में पढाई कर रहे हैं उनको किसी अपराध में पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने की बात कहकर लोगों से पैसों की ठगी की जा रही है।

MODUS OPRANDI/कार्य प्रणाली- ऐसे माता पिता जिनके बच्चे विदेशों में या उनसे दूर किसी बड़े शहर में पढ़ाई करते हैं, उन्हें सायबर जालसाजों द्वारा कॉल किया जाता है कि वह कोई पुलिस अधिकारी या वकील है जो उस क्षेत्र के पुलिस थाने से बात कर रहा है जहां आपका बच्चा पढ़ाई कर रहा है तथा आपके बच्चे को एक बड़े केस में जैसे बलात्कार, मर्डर या नार्कोटिक्स आदि में गिरफ्तार किया गया है।

जालसाज कहते हैं, कि अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है, यदि आप उसे बचाना चाहते हों तो उनके द्वारा बताई गई राशि किसी खाते में या यूपीआई के माध्यम से भेज दें। अधिकांशतः बच्चे कॉलेज या कोचिंग में व्यस्त होने का कारण उस दौरान कॉल नहीं उठाते और माता-पिता को लगता है कि उनके बच्चे के साथ वाकई कोई घटना हो गई है।

इसके अतिरिक्त जालसाजों द्वारा नवीन तकनीकों जैसे AI(Artificial Intelligence) का उपयोग कर बच्चों की आवाज कॉल पर सुनवाई जाती है जिसको सुनकर माता-पिता को विश्वास हो जाता है, कि उनके बच्चों को वाकई किसी पुलिस अधिकारी ने पकड़ रखा है और वह उस संदिग्ध व्यक्ति को जो स्वयं को पुलिस अधिकारी या वकील बताता है, को बड़ी राशि ट्रांसफर कर देते हैं। इस प्रकार आपसे आपके खाते में उपलब्ध अच्छी खासी रकम जमा करा ली जाती है।

PRECAUTION/एहतियात:

1. अनजान नंबर से आने वाले कॉल, व्हाट्सएप कॉल/वीडियो कॉल, टेलीग्राम कॉल न उठाएं विशेषतः जो नंबर +92 से शुरू होते हों उन्हें तो बिल्कुल भी नहीं।

2. अनजान व्यक्तियों पर सामान्य तौर पर विश्वास न करें, उन्हें अपने परिवार एवं बच्चों संबंधी जानकारी न दें, हो सकता है वह आपके परिवार की जानकारी प्राप्त कर आपको परेशान करें।

3. परिवार का कोई व्यक्ति/बच्चा यदि पढ़ाई/नौकरी हेतु किसी अन्य शहर में जाते हैं तो संबंधित स्कूल/कॉलेज/कोचिंग संस्थान/कार्य स्थल एवं उस क्षेत्र के थाने का नंबर अपने पास रखें जिससे किसी घटना होने पर उनसे संपर्क/वेरिफाई किया जा सके।

4. यदि कोई व्यक्ति कॉल पर स्वयं को पुलिस अधिकारी या वकील बता रहा है तो एक दम उसकी बात का विश्वास न करें।

5. यदि आपके साथ कोई सायबर अपराध घटित होता है तो उसकी शिकायत अपने नजदीकी पुलिस थाने में या www.cybercrime.gov.in या Cyber Crime Help Line (Toll Free)नंबर 1930 पर करें।

चाइल्ड पोर्नोग्राफी के संबंध में-

Introduction/परिचय- वर्तमान डिजीटल परिवेश में जब हम व्हाट्सएप, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सक्रिय रहते हैं एवं कई ग्रुपों में भी हमें परिचितों व अंजान व्यक्तियों द्वारा जोड़ लिया जाता है। इन ग्रुपों में विभिन्न तरह की पोस्ट, तस्वीरें तथा वीडियोज देखने मिलते हैं।

ऐसी वीडियो या चलचित्र सामग्री, जिनमें 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को लैंगिक प्रदर्शन करते हुए या इस तरह की एक्टिविटी में संलिप्त दिखाया जाता है, उसको चाइल्ड पोर्नोग्राफी कहा जाता है। यदि आप चाइल्ड पोर्नोग्राफी तैयार, संग्रहित, प्राप्त, डाउनलोड, आदान-प्रदान, वितरित अथवा ब्राउज/सर्च करेंगे या बढ़ावा देंगे तो आईटी एक्ट की धारा- 67बी, आईपीसी की धारा 354 सी तथा पोक्सो की धारा 11/12 के तहत अपराधी बन जाएंगे।

सरकार निरंतर ऐसी गतिविधियों पर नजर रखती है तथा भारत में संचालित होने वाली सभी इंटर्मीडियरीज जैसे- फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, गूगल इत्यादि द्वारा ऐसे विभिन्न प्रोफाइलों की जानकारी जो किसी भी तरह से चाइल्ड पोर्नोग्राफी तैयार, संग्रहित, प्राप्त, डाउनलोड, आदान-प्रदान, वितरित अथवा ब्राउज/सर्च भी करते हैं अथवा किसी को भेजते हैं, को एकत्रित कर पुलिस के साथ साझा करती है। इस तरह की शिकायतों पर मध्यप्रदेश की राज्य सायबर पुलिस द्वारा कार्यवाही की जाती है।

PRECAUTION/एहतियात-

1. किसी भी तरह के सोशल मीडिया (फेसबुक, व्हाट्सएप, टेलीग्राम आदि) के ऐसे ग्रुपों में न जुड़ें जिनमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी का आदान प्रदान होता हो।

2. अपने व्हाट्सएप/टेलीग्राम की सेटिंग को मजबूत रखें ताकि अपनी अनुमति के बगैर कोई व्यक्ति आपको किसी ग्रुप में न जोड़ सके।

3. अपने व्हाट्सएप/ टेलीग्राम आदि में सेटिंग में जाकर ऑटो डाउनलोड को बंद करें, जिससे जब तक आप न चाहें तब तक किसी भी प्रकार की कोई तस्वीर तथा वीडियो आपके मोबाइल में डाउनलोड न हो सके।

4. ऐसे ग्रुपों को छोड़ दें, जिनमें इस तरह की सामग्री आती है तथा उस ग्रुप के मेंबर्स को भी जानकारी दें कि यह उनके लिए कितना खतरनाक हो सकता है।

5. ऐसी किसी भी वेबसाइट को विजिट न करें न ही किसी एप्लीकेशन को इस्टाल करें जहां चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री हो।

6. यदि आपके साथ कोई सायबर अपराध घटित होता है या आपको किसी तरह की सायबर अपराध की जानकारी मिलती है तो उसकी शिकायत अपने नजदीकी पुलिस थाने में या www.cybercrime.gov.in या Cyber Crime Help Line (Toll Free) नंबर 1930 पर करें।

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