जिसके पास सत्य दया, प्रेम और विश्वास है, उसे कोई पराजित नहीं कर सकता- सद्गुरु मंगलनाम साहेब
देवास। रास्ता खराब है तो धीरे चलो, संयम बरतो, तेज गति से मत चलो, क्योंकि तेज चलोंगे तो संभलने का मौका नहीं मिलेगा। चकनाचूर हो जाओंगे, इसलिए जीवन में कैसी भी परिस्थिति हो संयम बरतो। संयमित रहने से काल और दगा भी मिट जाता है। संयम को हमेशा अपने चित्त में धारण करें।
यह विचार सद्गुरु मंगलनाम साहेब ने सदगुरु कबीर प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित गुरुवाणी पाठ, गुरु-शिष्य चर्चा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सद्गुरु, साधु की संगत में उनकी विचारधाराओं को अपने आचरण में उतारकर ही जीवन को संयमित किया जा सकता है। तीर-तलवार का भरोसा छोड़कर सत्यनाम से नाता जोड़ो। सद्गुरु भली, बुरी सबको साध लेता है। साधु नाम परमात्मा है, जो सभी अंगों को जानता है। सत्य, दया, प्रेम और विश्वास यदि आपके पास हैं तो संसार में आपको कोई पराजित नहीं कर सकता। किसी भी साधु को उसकी वेशभूषा से परख मत करना। सद्गुरु, साधु उसकी समझदारी दया, प्रेम, क्षमता, ज्ञान और विश्वास से परखा जाता है, पहचाना जाता है। सद्गुरु की भी पहचान आत्मा से ही होती है, क्योंकि आत्मा पहचानने का दर्पण होती है। आपकी आत्मा देखकर पहचान लेती है, कि यह सद्गुरु है या कोई और है।
उन्होंने आगे कहा कि पक्का बैरागी वही है जिसका दिल का दर्पण साफ है, निर्मल, मंजा हुआ है। अगर तुम्हारे दिल के दर्पण पर कचरा है, काई जमी हुई है तो कैसे देखोंगे। जब तक कचरा, काई रूपी आवरण नहीं हटेगा, तब तक आप नहीं देख पाओंगे। सद्गुरु की संगत से ही उस दर्पण को मांजना पड़ेगा। जैसे हवा चलती है तो पानी का कचरा किनारे पर लग जाता है। कुएं या नदी में मुर्दे को डाल दो एक तरफ किनारे पर कर देगा। हवा सब कचरे को छान देती है। वैसे ही जीव जब सद्गुरु की संगत में आकर सद्गुरु के आचरण को, उनकी वाणी, विचारों को अपने जीवन में उतारता है तब सद्गुरु कचरा रूपी आवरण को हटाकर आत्मा को निर्मल कर देते हैं। विषय, विकारों से मुक्त कर देते हैं।
इस दौरान सद्गुरु मंगलनाम साहेब का साध-संगत द्वारा पुष्पमाला से एवं शाल- श्रीफल भेंटकर सम्मान किया गया। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।
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