– ऊंचे पहाड़ पर विराजमान मां चामुंडा-मां तुलजा भवानी भक्तों की हर मुराद करती है पूरी
– दिन में तीन स्वरूप बदलती हैं मातारानी, चेहरे पर झलकते हैं बाल्यवस्था, युवावस्था व वृद्धावस्था के भाव
– संतान न होने पर पान का बीड़ा खिलाने से होती है मनोकामना पूरी
देवास। मध्यप्रदेश के देवास शहर के मध्य पहाड़ों पर बसी है मां चामुंडा-मां तुलजा भवानी। मां के दरबार में मुरादें लेकर प्रतिवर्ष लाखों भक्त आते हैं। विशेषकर दोनों नवरात्रि पर मां के दरबार में चौबीस घंटे ही भक्तों का तांता लगा रहता है। भक्त खाली झोली लेकर आते हैं और मां उनकी झोली को खुशियों से भर देती हैं। मां तुलजा भवानी को बड़ी माता और मां चामुंडा को छोटी माता कहकर भक्त पुकारते हैं। भक्त यहां पर मां के तीन स्वरूपों में दर्शन करते हैं। जिस पहाड़ी पर मां विराजमान है, उसकी ऊंचाई लगभग 300 फीट है, जहां से देवास का नजारा बड़ा ही सुंदर प्रतीत होता है।
देवास औद्योगिक एवं धार्मिक नगरी के रूप में पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां पर बैंक नोट प्रेस भी है, जहां नोटों की छपाई होती है। जो श्रद्धालु उज्जैन में ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के दर्शन के लिए आते हैं, वे देवास में मातारानी का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते। आमदिनों में सामान्य रूप से दर्शन हो सकते हैं, लेकिन नवरात्रि में श्रद्धालुओं का सैलाब सा उमड़ता है। इस दौरान पूरे मार्ग पर पैर रखने की जगह नहीं होती है। मान्यता है, कि संतान न होने पर माता को पान की बीड़ा खिलाने से मुराद पूरी होती है। भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं। आगामी दिनों में टेकरी पर उज्जैन महाकाल लोक के समान ही देवीलोक का निर्माण होने वाला है।
तो बनते हैं संतान के योग-
युवा साहित्यकार अमितराव पवार बताते हैं ऐसी मान्यता है, कि जिन महिलाओं को संतान नहीं होती हैं, वे भी यहां आकर मां चामुंडा को पान का बीड़ा खिलाती हैं और मां के मुख में लगाया गया पान का बीड़ा महिला की झोली में गिरता है तो इसी साल संतान के योग बनते हैं।
रोप-वे की सुविधा भी है-
देवास के रेलवे स्टेशन से आने वाले श्रद्धालु माता टेकरी के शंखद्वार से प्रवेश कर सकते हैं। यह ढलाऊ मार्ग है। बस स्टैंड से भी टेकरी की दूरी एक-सवा किमी के करीब है। बस स्टैंड से कुछ ही दूरी पर सीढ़ी मार्ग है और यहां से आगे की ओर भोपाल चौराहे पर रोप-वे की सुविधा है। जिन्हें पैदल चढ़ने में कठिनाई होती है, वे रोप-वे का इस्तेमाल कर माता के दरबार में पहुंच सकते हैं। रोप-वे के माध्यम से नाममात्र के शुल्क पर आप सीधे माता के दरबार में पहुंच सकते हैं।
शंखद्वार से ढलाऊ मार्ग प्रारंभ होता है, जिस पर चढ़ते हुए अधिक थकावट नहीं होती है। ढलाऊ मार्ग से माता मंदिर पहुंचने वाले रास्ते में हरियाली से आच्छादित पहाड़ी का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। टेकरी से देवास शहर की घनी बसावट देख सकते हैं। बारिश के दिनों में टेकरी की हरियाली मन को सुकून देती है।
आदी-अनादी काल से विराजमान हैं मातारानी-
मां चामुंडा मंदिर में सेवा देते आ रहे पुजारी महेश नाथ बताते हैं मां भगवती आदी-अनादी काल से विराजमान हैं। जहां जहां सति के खंड गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ हुआ और जहां रक्त गिरा वहां मां चामुंडा विराजमान हैं। मां दिन में तीन स्वरूप बदलती हैं सुबह बचपना, दोपहर में जवानी व शाम को वृद्धावस्था। यह मां के चेहरे के भाव से मालूम पड़ता है। इसी प्रकार मां तुलजा भवानी मंदिर के पुजारी रवींद्र नाथ बताते हैं, मां अपने भक्तों का कल्याण करती हैं। मां यहां पहाड़ पर विराजमान हैं। ऐसा कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य के पूर्व से ही मां यहां विराजमान हैं।
इंदौर-उज्जैन के मध्य में स्थित है देवास –
देवास की उज्जैन से दूरी लगभग 37-38 किलोमीटर है और इंदौर से दूरी लगभग 35 किमी है। दोनों ही स्थानों से देवास के लिए कुछ-कुछ देर में बसें चलती हैं। ट्रेन व निजी वाहनों से भी आप आ सकते हैं। देवास से भोपाल की दूरी लगभग 155 किमी है। उज्जैन, इंदौर व भोपाल तीनाें जगह से देवास आने के लिए संसाधनों की कमी नहीं है। नजदीक एयरपोर्ट इंदौर में है। जहां से सिर्फ एक घंटे की दूरी पर देवास स्थित थे।
ठहरने के लिए सुविधा-
देवास में भक्तों के लिए ठहरने के लिए सामान्य दर पर कई होटल, लॉज, धर्मशाला आदि उपलब्ध है। माता टेकरी पर देवस्थान प्रबंध समिति के माध्यम से अन्नक्षेत्र का संचालन किया जाता है। शारदीय नवरात्रि में शहर में जगह-जगह निशुल्क भंडारे सामाजिक व धार्मिक संस्थाएं संचालित करती हैं।
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