देवास। जिसको तैरते नहीं आता, उसको पानी में डाल दो डूब जाएगा और डूबने के बाद शरीर ऊपर आ जाता है। शरीर के अंदर जब तक जान थी, तब तक तो पानी भीतर ले जा रहा था। आदमी पांच डुबकी खाकर बचा लो, बचा लो पुकार लगाता है, लेकिन जहां शरीर से आत्मा और जान खत्म हुई, तो पानी भी शरीर को पानी से बाहर फेंक देता है। इसलिए बताओ कि शरीर का वजन है कि आत्मा का। डूबने के बाद आज तक किसी का शरीर पानी ने रखा ही नहीं। पानी बाहर कर देता है तो वजन आत्मा का था शरीर का नहीं। शरीर तो हाड़-मांस का बना हुआ है। इस शरीर पर जो वजन है वह वजन आत्मा का है।
यह विचार श्री रंगनाथ राधाकृष्ण मंदिर चाणक्यपुरी में श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन शनिवार को व्यासपीठ से पं. अजय शास्त्री सिया वाले ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि आत्मा के इस शरीर को सुधारने के लिए आपको केवल और केवल भगवान का भजन करना है। उस भजन, सुमिरन में भी इतना वजन होना चाहिए, कि यह माया तुम्हें उठा नहीं सके, मोहित नहीं कर सके। 84 लाख योनियों में भटकर मनुष्य योनि में मौका मिला है। इस मानव शरीर में फिर यह पल नहीं आएगा, क्योंकि कल किसी ने देखा नहीं। हमें खबर नहीं पल की और बात कल की करते हैं।
उन्होंने कहा, कि प्रत्येक मानव को प्रभु का चिंतन करना चाहिए, लेकिन हम चिंता में खोए रहते हैं। चिंता करने से हमारा शरीर खत्म हो जाता है। अगर हमने प्रभु का चिंतन कर लिया तो हम मोक्ष के द्वारा तक पहुंच सकते हैं। परमात्मा को प्राप्त करने के लिए सद्गुरु की शरण में जाना पड़ेगा, क्योंकि सद्गुरु ही परमात्मा से मिलाने का सहज मार्ग है। कथा में आज श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया। जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण बाल रूप में कथा पंडाल में आए, श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
आयोजक मंडल की चंदा शर्मा व श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की। मुख्य यजमान श्री रंगनाथ हैं। पं. शास्त्री ने हरि भज लें अभी भज लें, अभी भजने का मौका है.. जैसे भजनों की सुमधुर प्रस्तुति दी तो श्रद्धालु भावविभोर होकर झूमने लगे। सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।
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