- देह, देश व स्वधर्म की निंदा कभी मत करना
- विदेशी फैशन को सेना नहीं रोक सकती, इसे आपको रोकना होगा
- भौमियाजी मंदिर के समीप श्रीमद भागवत कथा में मालवा के संत पं. कमलकिशोर नागर ने दिए अनुकरणीय संदेश
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)।
देश के प्रति वफादार रहो। विदेश की तारीफ करने से पहले हमारे देश की समृद्धि को देखो। अपने देश-स्थान से प्रेम रखो। अपनी देह, देश व धर्म की कभी निंदा नहीं करना चाहिए। मां कैसी भी हो, वह मां है और हमारी है। हमारा धर्म हमारा ही है। विभिषण रामभक्त था, लेकिन कोई विभिषण का नाम नहीं रखता। विभिषण अच्छा पात्र था, फिर भी उसके नाम से परहेज। उसमें एक ही कमी थी, वह राष्ट्र भक्त नहीं था। राष्ट्र भक्ति राम भक्ति से भी ऊपर है। उसने राजा व राष्ट्र के प्रति गोपनीयता भंग की थी, इसलिए उसके नाम को नकार दिया।
यह संदेश मालवा के संत पं. कमलकिशोर नागर ने भौमियाजी मंदिर के समीप श्रीमद भागवत कथा के दौरान शनिवार को दिए। उन्होंने कहा, कि सीमा पर सेना खड़ी है तो विदेशी व्यक्ति नहीं आ सकता, लेकिन फैशन को सेना नहीं रोक सकती, उसे तो आप ही रोक सकते हैं। हिंदी ज्यादा पसंद नहीं है। शिशु मंदिर में बच्चे को नहीं पढ़ाते हो और कॉन्वेंट में पढ़ाकर गौरव समझते हों। क्या देश से प्रेम करते हैं, मातृभाषा से प्रेम करते हैं। हम सभी से आग्रह करते हैं भाषा में हिंदी कभी मत छोड़ना और बहनों! आप माथे पर बिंदी कभी मत छोड़ना। जितनी कीमत माथे की बिंदी की है, उतनी ही कीमत हिंदी की है।
2000 के बाद वाला लॉट-
संतश्री ने मालवी बोली में उदाहरण देते हुए समझाया, कि ये 1947 से 2000 तक जो आए हैं, ये वाला लॉट बढ़िया था। 2000 से इधर वाला जो नया लॉट आया है, इसमें बच्चों के ये हालत है, कि ये 11,12,13 नहीं समझते। ये वाला लॉट ग्यारस करेगा, कि इलेवन। ग्यारस पर साबूदाना मंगवाना हो तो क्या कहेंगे कि साबूदाना लिया जे आज म्हारे इलेवन है…।
संतश्री ने कहा हिंदी नहीं समझते तो ग्यारस, अमावस, पूनम सब डूब जाएंगी। ये तारीख में समझते हैं। हिंदी धीरे-धीरे खत्म हो रही है। क्या पितृों का श्राद्ध करोंगे, त्योहार मनाओंगे। क्या नवमी, दशमी को ये एट, नाइन, टेन वाले मान लेंगे। नवरात्रि आ रही है तो क्या ये पूजा करेंगे। इन्हें तो तिथि ही नहीं मालूम होगी। संतश्री ने कहा पैसे वाले लोग विदेशों में बच्चों को पढ़ाकर गर्व करते हैं। वहां बच्चे पढ़ लेंगे तो नौकरी भी वहीं कर लेंगे और आप यहां रह जाओंगे। आप चले गए तो ये आपको हाथ भी नहीं लगा पाएंगे।
तिथि-अतिथि का बहुत सम्मान है-
संतश्री ने कहा भारत में रहते हो तो यह देश तिथि और अतिथि का बहुत सम्मान करता है। तिथि आती है तो उधार लाकर भी धूप आदि देते हैं। कहीं से भी अतिथि आ जाता है तो उसके लिए अनाज बेचकर भी व्यवस्था करते हैं। यह कल्चर गांव में ही सीमित हो गया है। इस समय मकान बड़े-बड़े हो गए हैं। पहले मकान छोटे थे, पर मन बड़ा था। इस समय मकान बड़े हैं, पर मन बहुत बारीक है।
परमात्मा आनंद का स्वरूप है-
संतश्री ने कहा, कि स्वर्ग में रहने वाले देवताओं को भी गोकुल की गलियों में आनंद आता है। आनंद को दिखा नहीं सकते, जिसे आता है वही जानता है। परमात्मा आनंद स्वरूप हैं। जिस उत्सव में आनंद आता है, समझ लेना परमात्मा आ गए। यह प्रश्न ना खड़े करें, कि परमात्मा कहां है। जो उसे जानता है, वही समझ सकता है आनंद क्या है। आनंद सुखों से हटकर है। भोजन करना सुख है, लेकिन सतत भोजन भी नहीं कर सकते। कथा सतत सुन सकते हैं। सतत परमात्मा के पास रहो, तो सतत संतुष्टि होती है।
अंगूठा टेक हो तो क्या परमात्मा सबको मिलेगा-
संतश्री ने कहा ऐसा कभी मत विचार करना कि मेरे पास क्या है, मैं परमात्मा को कैसे प्राप्त करूं, कैसे उनकी पूजा करूं, मुझे तो ज्ञान नहीं है, मैं अंगूठा टेक हूं। जो परमात्मा ज्ञानी, पंडित, साधु-संत, पहुंचे पुरुष को मिला है, वह जाे कुछ नहीं जानता उसे भी मिलेगा। अंगूठा मामूली बात थोड़ी है, ये अच्छे-अच्छे आईएएस, आईपीएस भी जानते हैं। पूछो, ये सामने बैठे हैं, इनका भी आधार कार्ड किससे बना। अंग्रेजी में तो साइन कर देते, लेकिन अंगूठा चिपकाना पड़ा। साइन में एक बार बेईमानी हो सकती है, लेकिन यह अंगूठा बेईमानी नहीं कर सकता।
अंधाधुंध भगाते हैं मोटरसाइकिल-
संतश्री ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा, कि आप जब मोटरसाइकिल भगाते हो तो यह जरूर सोचना, कि आपके पीछे पूरा परिवार बैठा है। आपकी मां, आपका बाप, आपकी सास, आपका ससुर, आपकी पत्नी, आपके बच्चे, आपकी बहन, आपका भानेज कितने बैठे हैं पीछे। इसके बाद भी आप अंधाधुंध भगाते हो। इतना ज्ञान नहीं है मेरे पीछे मेरा बूढ़ा बाप बैठा है, मां बैठी, दादी बैठी है, बच्चे बैठे हैं। जितने भी गाड़ी चलाते हो ध्यान रखों इसका। इतना याद रख लोंगे तो हम भरोसे से कहते हैं, कि रोड पर एक भी दुर्घटना नहीं होगी। अंधाुधंध भगाए जा रहे हैं। कितने रोएंगे मेरे एक कारण सबकी खुशी चली जाएगी। हम सूत्र देकर जा रहे हैं, जीवनभर याद रखना है। जितनी उमर है, उतनी उमर के अनुसार गाउ़ी भगाओं, आपकी उम्र 30 की है तो इससे ज्यादा मत भगाओं, कभी एक्सीडेंट नहीं होगा। साइड से चलो, धीरे चलो। जल्दी चलना है तो घर से जल्दी चलो। गाड़ी तेज चलाने से पहले सोचना इनका क्या होगा।
30 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचे कथा श्रवण-
शनिवार को 30 हजार से अधिक श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए पहुंचे। श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी ना हो इसके लिए आयोजन समिति ने व्यवस्था की। रोटी क्लब बैंक सदस्य शीलत पेयजल की व्यवस्था में जुटे रहे। श्रद्धालुओं को शरबत भी पिलाया गया। कथा श्रवण के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु वाहनों से आए। इनके वाहन की पार्किंग व्यवस्था बेहरी नयापुरा, बागली के श्रद्धालुओं ने संभाली। ठंडा पानी की व्यवस्था छतरपुरा के श्रद्धालुओं ने संभाली।
गर्मी का मौसम होने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने पर डॉ. हेमंत पटेल के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग के संजय जोशी, शहजाद खान अपनी टीम के साथ पूरे समय व्यवस्था देते रहे। आयोजन की व्यवस्था को लेकर बागली पुलिस थाना प्रभारी अजयसिंह गुर्जर के मार्गदर्शन में पुलिस एसआई लोकेंद्रसिंह इक्का, प्रहलादसिंह जाट, जगदीश सोलंकी सहित बल तैनात रहा। मुन्नालाल पंचोली, पूर्व नगर पंचायत उपाध्यक्ष महेंद्र तंवर, शोभा गोस्वामी, प्रमिला तंवर, जया राठौड़, शीला चावड़ा, अर्चना श्रीवास्तव सहित अन्य महिलाओं का विशेष सहयोग रहा। आयोजक कमलादेवी भार्गव, चंद्रशरण भार्गव, एसडीओपी सृष्टि भार्गव ने व्यासपीठ का पूजन किया।
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