देवास। आज बच्चे पढ़-लिखकर धन-वैभव व क्षणिक सुख के लिए अपने मां-बाप को छोड़कर जा रहे हैं। तुम्हारी सारी पढ़ाई-लिखाई और विद्वता बेकार हो गई। किसी काम की नहीं रही, क्योंकि तुम जन्मदाता को ही छोड़ कर जा रहे हो। जो माता-पिता को छोड़कर जाते हैं वह कभी सुखी नहीं रह सकते।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सदगुरु कबीर प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा आयोजित चौका विधान, चौका आरती, गुरुवाणी पाठ के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि कबीर साहेब ने बार-बार समझाया है, कि घर में जोग, भोग घर ही में, घर तजी बन नहीं जाए। अनंत तरह की कल्पनाओं को हम जन्म देते हैं। घर छोड़कर वन में जाकर अपने आप को सुखी कर ले। राम ने, कबीर ने अपने घर को इसलिए छोड़ा था, कि उनका भाई और मां सुखी हो जाए, लेकिन सूखी हुए क्या। शरीर के अंदर सुखी होने की सारी व्यवस्थाएं हैं।
उन्होंने कहा, कि बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों ने बताया चांद-सूरज पर जाने की यात्रा, ग्रह नक्षत्र की गणना, कैसे कब ग्रहण पड़ता है, कितने बजकर कितने मिनट पर होता है। यह छाया का पूरा संदेश है। छाया को माप कर सारी दुनिया उलझ रही है। वो सत्य तो कुछ अलग ही बैठा हुआ है।
उन्होंने आगे कहा, कि कपड़े पहन लिए कि हम संत हो गए, हम बुद्धिमान हो गए। अरे कपड़े, चमड़े पहनकर तुम दुनिया को भटकाओं मत। सत्य का संदेश देने के लिए कपड़े, चमड़े की जरूरत नहीं पड़ती। निर्णय की जरूरत पड़ती है। आपके व्यवहार की जरूरत पड़ती है। जैसे पहले सड़क पर कोई दुर्घटना हो जाती थी तो आदमी घबराता था। वह उस घायल की मदद करने से घबराता था, कि कोई गवाह, सबूत देना ना पड़ जाए। इस संदेह में, इस व्यवस्था के कारण कई लोग काल के गाल में समा गए। बहुत बाद में समझ में आया, कि पहले घायल को अस्पताल पहुंचाया जाए। उसकी जान बचाई जाए। कुछ बात ऐसी है जो कहने जैसी नहीं समझने जैसी बात है। कुछ समझ कर बात समझी जाती है। इसलिए जीवन में कभी संशय ना करें।
सदगुरु कबीर साहेब के अनुयायियों, साध संगत ने सद्गुरु मंगल नाम साहेब की महाआरती कर आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम पश्चात महाप्रसाद का वितरण किया गया। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।
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