यह भाेग स्थली है, सारे पुरुषार्थ केवल मरण को सुधारने में लगा देना

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– मालवा के प्रसिद्ध संत कमलकिशोर नागर ने श्रीमद भागवत कथा में दिए प्रेरणादायी संदेश
– बागली के समीप बेहरी में प्रारंभ हुई श्रीमद भागवत कथा, प्रथम दिवस निकाली कलश यात्रा

बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। यह भोग स्थल है। शरीर को भाेग में न लगाए। व्रत करना, जप करना, अनुष्ठान करना, तीर्थ यात्रा करना, लेकिन सारे पुरुषार्थ को केवल मरण सुधारने में लगा देना। अगर मरण सुधर गया तो सबकुछ सुधर जाएगा। इसे बिगड़ने मत देना। भागवत कथा भी हमें मोक्ष की ओर ले जाती है। भागवतजी का ज्ञान हमारे मन के अंधकार को दूर करता है। भागीरथजी भले ही अपने पूर्वजों के कल्याण के लिए गंगाजी लाए, लेकिन आज समूची मानव जाति के लिए गंगाजी मोक्षदायिनी है। यहां आयोजक परिवार कथा करवा रहा है और इसमें सभी को कथा श्रवण का लाभ प्राप्त हो रहा है।

यह विचार मालवा क्षेत्र के संत कमलकिशोर नागर ने भौमियाजी हनुमान मंदिर के समीप श्रीमद भागवत कथा के शुभारंभ अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अपनी भक्ति को हमें नहीं बिगाड़ना है। अज्ञानता से अपनी भक्ति बिगाड़ लेते हैं, इच्छा पूरी करवाने के लिए। इच्छा पूर्ति के लिए देवी-देवताओं के पास जाते हैं, पंडा-पुजारी के पास जाते हैं। कितने ही देवी-देवताओं, पंडा के पास जाओंगे और कितनी इच्छा पूरी करवाओंगे। इच्छा पूरी करवाना भी मत और इच्छा कभी पूरी होगी भी नहीं। एक शब्द लिख लो, आवश्यकता की पूर्ति हो जाएगी, लेकिन इच्छा की पूर्ति कभी नहीं होगी। ईश्वर भी इच्छा की पूर्ति नहीं करेगा, वह आवश्यकता की पूर्ति कर देगा।

संतश्री ने कहा, कि इच्छा रहित जीवन और वासना रहित भजन होना चाहिए। भजन करो तो वासना रहित हो, जिसमें कोई इच्छा नहीं हो। ईश्वर से कुछ चाहों मत। संतश्री ने हिरण्यकश्यप व प्रहलाद का उदाहरण देते हुए कहा कि हिरण्यकश्यप को दुनिया का राज दे दिया, लेकिन फिर भी वह संतुष्ट नहीं हुआ। उसी के बेटे से जब पूछा कि क्या चाहिए तो वह कहता है कुछ नहीं, सिर्फ आपकी भक्ति। दोनों बाप-बेटों में अंतर देखों। एक को सबकुछ चाहिए और एक को कुछ नहीं। कुछ नहीं मांगना ही फायदे का काम है।

संतश्री ने कहा हम हाटपीपल्या आए, पुंजापुरा भी आए, लेकिन बागली छूट गया था। हमारे लिए बागली में कथा करना एक सपना था। यह सपना कब पूरा हो यह विचार किया। हमने स्वयं रुचि भी ली। इस क्षेत्र के लोग सेवाभावी है और अब कथा हो रही है। कथा के दौरान संतश्री ने भजनों की प्रस्तुति भी दी। उन्होंने मालवी बोली में कई तरह के प्रेरणादायी संदेश श्रद्धालुओं को दिए। जिन्हें श्रवण कर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।

कलश यात्रा निकाली-
इससे पूर्व भौमियाजी मंदिर कलश यात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। महिलाएं पीली साड़ी पहनकर सिर पर कलश धारण कर कलशयात्रा में शामिल हुईं। तेज धूप व गर्मी होने के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ। बैंड-बाजों के साथ भजनों में नृत्य करते हुए श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो गए। मुख्य यजमान भागवतजी की पौथी को धारण किए आगे-आगे चले। जहां से कलश यात्रा गुजरी, वहां पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। तेज धूप में तपती हुई सड़क को शीतल करने के लिए टैंकरों से पानी डाला गया। कलश यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं पर पानी की फुवारें भी गिराई गईं। कलश यात्रा भौमियाजी मंदिर से प्रारंभ हुई और समीप कथा स्थल तक पहुंची। यहां भागवतजी का मुख्य यजमान एवं अन्य श्रद्धालुओं ने पूजन-अर्चन किया। कथा स्थल पर सुरक्षा की दृष्टि से बागली थाना प्रभारी के मार्गदर्शन में थाने का पुलिस बल तैनात था।

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